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________________ धार्मिक-वहीवट विचार - 'निर्वाह फंड प्रथम, बाँधकामखर्च फंड बादमें' इस सूत्रको जो कार्यान्वित करते हैं, वे कभी मुसीबतमें फँसते नहीं / कायमी आमदानी बनी रहे, उसके लिए उपाश्रयके मकानमें शादी, शादी निमित्त भोजनसमारंभ आदि सामाजिक कार्य (साधुलोग न हो, उस समयमें भी) नहीं करने चाहिए / इसके कारण, उपाश्रयमें उत्पन्न हुए पवित्र-शुभ आन्दोलनों (Waves)में बिखराव आ जाता है / यह ऐसा भारी नुकसान है कि उसके सामने वार्षिक दस-बीस हजार रूपयोंकी आमदनी किसी गिनतीमें नहीं / ____ आज भी स्वामी-वात्सल्य आदि धार्मिक भोजनसमारंभ शास्त्रीय नियमानुसारका -रात्रिभोजनत्याग, कंदमूल - अभक्ष्य भक्षण त्याग आदि - पालन करके हो सकते हैं / लेकिन लग्नादि निमित्त भोजनसमारंभ तो हो ही नहीं सकते / सालभरमें इनेगिने दिनोंमें दिल्हीके संसद गृहमें राजनीतिक कार्य होते हैं। वहाँ शेष दिनोंमें भारी आमदनी होनेकी संभावना होने पर भी लनादि कार्यों के लिए संसदगृह कभी किराये पर दिया नहीं जाता / हर बातको केवल रूपयों से तौलनी नहीं चाहिए / वस्तुका गौरव बना रहे, पवित्रता बनी रहे, यह भी एक बड़ा भारी धन ही है। - उपाश्रय बाँधकाम ऐसा होना चाहिए कि जिसमें संयमजीवनका पालन अच्छी तरह हो सके उपरान्त जीवदयाका कार्य भी हो सके उपरान्त आराधकोंकी समाधि भी व्यवस्थित हो पाये, जिसके कारण साधु-साध्विजीयोंके संयमी जीवनको जरा भी बाधा पहुँचे, ऐसा कुछ भी काम वहाँ न हो पाये / (इस विषयमें शहरी श्रावकों द्वारा भारी उपेक्षा की जा रही है / ) उदा० जीवजन्तु द्रष्टिगोचर हों ऐसे रंगकी टाइल्स बैठाई जाय / जमीन पर बैठनेवाले श्रोताओंको भी व्याख्यान-श्रवणादिके समय, पवनकी सुविधा मिलती रहे, उतनी नीची खिडकियाँ लगानी चाहिए / दीवारोमें ही आलमारियाँ लगायी जायँ, जिससे खंडमें अलग जगह रूकी न रहे / घड़े आदिको रखनेके लिए मालिये बनाये जायँ / प्रमार्जन कर सके ऐसा खिडकियाँ और दरवाजे बनाये जाय / (स्लाईडिंगखिसकनेवाली खिडकियाँ जडी न जायँ ) वाड़ा तहखानेमें बनाया जाय, उसके मैलेको विसर्जन करते समय, जिनशासनकी अवहेलना न हो, उसकी सावधानीके साथ अन्दर ही व्यवस्था की जाय ।आसपासके लोगोंको नाराजगी न हो ऐसे मातरं, पानी परठनेके लिए खूली जगहकी अनुकूलता हो / कुल बाँधकामकी आधी जगह,
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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