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________________ चौदह क्षेत्रोंका विवरण भी उटपटांग दलील द्वारा अन्यत्र उस रकमको जमा कराना, यह अव्यवस्थाका मूल है / इसमें तो कभी कभी दाता स्वयं रकम जमा करानेमेंसे कतरा जायेगा, ऐसा संभव है / हाँ, यदि उस संघका संचालन शास्त्रशुद्ध न हो, तो उस समय गीतार्थ आचार्य भगवंतकी आज्ञानुसार कार्य करें / इसके अलावा अन्यत्र रकमका उपयोग करना, बिलकुल उचित नहीं है / घरदेरासरकी आमदनी भी, घरमालिक मात्र संघदेरासरमें - जिस संघमें स्वयं सदस्य हो उसी संघदेरासरमें दे दे वही उचित है / स्वयं उसका संचालन नहीं कर सकता / ___ आजकल तो कहीं कहीं नयी हवा चल रही है, कि लिखाया हुआ दान चाहे उतनी यादें दिलायी जायँ तो भी उस क्षेत्रमें दिया न जाय / इसी कारण ऐसी रकमों को निपटारा कर देना पडता है / भारतमें यह रोग वायरसकी तरह फैल पडा है / कहाँ वह मन्त्री पेथड, जिसने रकम जमा न हो, तब तक अन्न-जलका त्याग कर रखा था ! कहाँ आजकलके विपरीत बुद्धिवाले जीव ! कई लोग देरीसे रकम तो जमा करवाते हैं; लेकिन व्याज भरपाई नहीं करते / ऐसे लोगोंको व्याज भक्षण करनेका महादोष लगता है / पापभीरु आत्मालोग ऐसे दोषके भागी न बन पाये उसके लिए तत्काल- रकमकी घोषणा करने के बाद दो-चार घंटोमें ही रकम जमा करवा देते हैं। श्रावक-श्राविका (6 + 7) इन दो क्षेत्रोंको साधर्मिक क्षेत्र' ऐसे एक नाममें संलग्न करें / इस खातेमें भेंट स्वरूप आयी रकम अथवा शालिभद्र आदि बननेके चढावेकी रकमें, आरती उतारनेके लिए कुमारपाल आदि बननेवालेको तिलक करनेका चढावा (कुमारपाल आदि बनकर आरती उतारने का घी देवद्रव्य कहा जाता है / ) कुमारपालको आरती न उतारनी हो तो, वह द्रव्य साधारणमें जा सकता है / नूतनवर्ष आदि शुभदिनोंमें पेढी खोलनेका, मुनीम बननेका, या पहली पहुँच फाडनेका चढावा, प्रतिष्ठा आदिकी पत्रिकामें नाम लिखितंका नाम लिखानेका चढावा, मणिभद्रादिके भंडारमें भेंटरूप प्राप्त रकम (मणिभद्रकी प्रतिमा या गोख देवद्रव्यमें से निर्मित्त न हुए हों तो) दीक्षार्थीको तिलक करने की चढ़ावे की, दीक्षा की वरयात्रा के (बिना रथकी) विविध चढ़ावे, दीक्षार्थीको प्रथम वायणा करानेका या कामली आदि देनेके चढ़ावे, चतुर्थ व्रत या बारह व्रतधारीको तिलकके चढ़ावे आदिकी रकम साधर्मिक खातेमें एकत्र की जाय /
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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