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________________ 171 परिशिष्ट-१ यह सूचित नहीं किया / अन्यान्य क्षेत्रोमें तत्तद समयमें इस द्रव्यका उपयोग हुआ है, ऐसा जानकर उन्होंने ऐसा कहा है कि इस विषयमें बहुतसा कहेने जैसा है लेकिन कहाँ तक लिखा जाय ? इस के उपरसे स्पष्ट होता है कि उन्होंने गुरुद्रव्य देवद्रव्यरूप ही है, ऐसा निश्चित्त नहीं किया है / अब जो सिद्धसेनसूरिके दृष्टान्तसे हीरसूरि महाराजने पूजन द्रव्यकी व्यवस्था सूचित की है, उसे सिद्धसेन सूरिके दृष्टान्तसे समझ लें / प्राचीनतम ग्रन्थ भद्रेश्वरसरिकी 'काव्य शैली' के दूसरे खंडमें साधारणके विभागमें उस धन को ले जानेके लिए सूचित किया है / प्रभावक चरित्रमें भी उसी प्रकार सूचित किया है / 'प्रबंधचिन्तामणि' आदिमें उस द्रव्य का उपयोग, लोगों को ऋणमुक्त करानेमें करने का सूचन किया है / जब कि 'प्रबंध कोश में जीर्णोद्धार आदिके लिए कहा गया है / इस प्रकार गुरूपूजन द्रव्यकी कोई नियत व्यवस्था प्राचीन कालके ग्रन्थोंमें दिखायी नहीं देती / दूसरा, जो सिद्धसेन सू. म. का उदाहरण हीरसूरि महाराजने दिया है, उसमें विक्रमराजाने कोटिद्रव्य सिद्धसेन सूरिको तुष्टिमान् रूपमें दिया है, न कि अंगपूजा या चरणपूजाके रूपमें / __शास्त्रदृष्टि अनुसार साधुको द्रव्यदान करना निषिद्ध है, लेकिन इस, प्रकार मुग्धावस्थामें किसीने साधुको द्रव्यदान किया हो तो उससे गुरुकी अंगपूजाका समर्थन नहीं होता / केवल इतना फलित होता है कि दानरूपमें या पूजारूपमें समर्पित द्रव्यका उपयोग, गुरुकी इच्छानुसार योग्यक्षेत्रमें किया जा सकता है - लेकिन देवद्रव्यमें ही जाय, ऐसा नहीं कहा जा सकता / अतः गुरुपूजनका द्रव्य (जब तक वह चालू है वहाँ तक) वैयावच्चमें ले जानेमें कोई आपत्ति नहीं / उपरान्त, कंबल तो क्रीतादि दोषदुष्ट हो तो वहोरी ही नहीं जाय, लेकिन अब जब प्रथा चल ही पड़ी है तब उसकी बोलीका द्रव्य भी वस्त्रपूजाकी बोलीके द्रव्यरूप होकर देवद्रव्य बनता नहीं। यह कारणसे वैयावच्चमें तो अवश्य लिया जा सकता है / अस्तु, अब मूल बात पर आयें / ____जब गुरु सिद्धसेनसूरिजीने राजा विक्रमको हाथ ऊँचाकर दूरसे ही 'धर्मलाभ' उस प्रकार कहा / तब सिद्धसेनसूरिजीने राजाको एक करोड सोनामुहरें दी /
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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