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________________ 135 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी जाय ? प्रथम जीवदया किसकी की जाय ? उत्तर : वह दान अनुचित नहीं है / लेकिन जो मारपीट है, उसे अनुचित समझी जाय / अधिक पुण्यशाली व्यक्तिकी विशेष दयाभक्ति होनी चाहिए, उस न्यायानुसार उसे माता-पिताके प्रति बहुमान एवं उसकी पत्नीके प्रति सन्मानभाव रखनेकी बात जरूर होनी चाहिए / प्रश्न : (134) किसी भी उछामनीकी बोलीके समय, भावना और परिस्थिति विशिष्ट हो और उसके बाद भावना और परिस्थितिमें परिवर्तन हो, ऐसे समयमें क्या किया जाय ? उत्तर : हमारे यहाँ एक ऐसा रिवाज था कि जो उछामनी आदिकी बोली हो, उसकी रकम तत्काल जमा हो जाय / पेथडमंत्री उसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं / ऐसा होनेका कारण यह था कि यदि तत्काल रकम जमा न हो और कल उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाय तो रकम जमा न करानेका बड़ा भारी दोष हो जाय / / जैसे दिवस और मास व्यतीत हो, उस प्रकार, साहुकारी रीत-रस्मके अनुसार, जिस समय जो व्याजका हिसाब होता हो, उसे अवश्य चुकाना चाहिए, अन्यथा व्याजभक्षणका दोष लगता है / . हालमें इस विषयमें लापरवाही देखी जा रही है / धंधा-व्यवसायोंमें भारी उथलपुथल मची रहनेके कारण, कलका करोडपति आज भिखारी बन जाता है / ऐसी स्थितिमें रकम तुरन्त जमा होनी चाहिए / संघकी ओरसे रकम जमा करनेकी जो तारीख घोषित हुई हो, उस दिन तक बिना व्याजकी रकम जमा करा दी जाय, लेकिन समयमर्यादा बीतने पर, दूसरे दिनसे ही व्याजका चक्र जारी हो जाता है / ___. 'जो लोक उछामनी आदिकी रकम जमा कर न पाये, तो संघ उसकी रकमको स्थगित न कर देनी चाहिए / यदि उसके नाम पर, रकम उधार निकलती रहेगी तो वह व्यक्ति या उसके उत्तराधिकारी समृद्ध होने पर व्याजके साथ पूरी रकम जमा करा पायेंगे / ____ आजकल तो प्रायः ऐसा दृष्टिगोचर होता है कि उछामनीकी या भेंटरूपमें लिखायी रकमोंमेंसे कई दाता लोग तो उन रकमोंको कभी जमा ही नहीं कराते / क्योंकि दुनियामें अपनेको दानवीर दिखानेके लिए कई लोग जाहिरमें रकम लिखाते होंगे या भारी उछामनीकी बोली बोलते होंगे /
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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