________________ -श्रीनन्दिनन् / दोनि वत्थू पन्नत्ना 6 / श्रायप्पायव्यस्स णं सोलस वत्थू पन्नता 7 / कम्मप्पवायपुवस्स णं तीसं वत्थू पनत्ता 8 / पञ्चक्खाणपुवस्स णं वीस वत्थू पनत्ता 1 / विजाणुप्पवायस्स णं पन्नरस वत्थू पनत्ता 10 / श्रवं. झपुमस्त णं बारस वत्थू पन्नत्ता 11 / पाणाउपुवस्स णं तेरस वत्थू पन्नत्ता 12 / किरियाविसालपुवस्स णं तीसं वत्थू पन्नत्ता 13 / लोगबिदुसारपुव्वस्स णं पणवीसं वत्थू पन्नत्ता 14 / 'दस चोदस अट्ट अट्ठार. सेव वारस दुवे श्र वत्थूणि / सोलस तीसा वीसा पन्नरस अणुपपायमि // 1 // बारस इकारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि / तीसा पुण तेरममे चउदसमे पन्नविसायो॥२॥ चत्तारि दुवालस अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि / पाइलाण चउराहं सेसाणं चूलिया नत्थि // 3 // ' से तं पुव्वगा 15 // 3 // सू० 46 // से किं तं अणुयोगे ? अणुयोगे दुहिहे पन्नत्ते, तंजहा-मूलपढमाणुयोगे अ गंडीवाणुयोगे अ 1 / से किं तं मूलपढमाणुयोगे ? मूलपढमाणुयोगे णं अरहंताणं भगवंताणं पुत्वभवा देवलोगगमणाई या चवणाई जम्मणाणि अभिसेया रायवरसिरीयो पवजायो तवा य उग्गा, केवलनाणुप्पयायो तित्थपवत्तणाणि श्र, सीसा गणा गणहरा अजापतिणीयो य, संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं, जिण-मणपजव-श्रोहि नाणी-सम्मत्तसुयनाणिणो श्र वाई श्र अणुत्तरगई अ उत्तरवेउब्विणो अ मुणिणो जत्तिया, जत्तिया सिद्धा, सिद्धि पहो जह देसियो, जचिरं जहा कालं पायोवगयो, जे जहिं जत्तिलाई भत्ताई छेइत्ता अंतगडे मुणिवरुत्तमे तिमिरोघविप्पमुक्के मुक्खसुहमणुत्तरं च पते। एपमन्ने य एषमाइभावा मूलपढमाणुयोगे कहिया / से तं मूलपढमाणुयोगे 2 / से किं तं गंडिपाणुयोगे ? गंडिवाणुश्रोगे कुलगरगंडिश्रायो, तित्थयरगंडियायो, चक्कपट्टिगंडियायो, दमारगंडिअायो, बलदेवगंडियायो, वासुदेवगंडियायो, गणधरगंडियायो, भदबाहुगंडिश्रायो,