________________ श्रीमदावश्यकत्रम् / अध्ययन 1] . नमिविनमीणं जायण, नागिंदो विजदाण वेअड्डे / उत्तरदाहिणसेढी, सट्टीपराणासनगराई // 317 // भगवं अदीणमणसो, संवच्छरमणसियो विहरमाणो / कराणाहि निमंतिज्जइ, वत्था भरणासणेहिं च // 318 // संवच्छरेण भिक्खा, लद्धा उसमेण लोगनाहेण / सेसेहि बीयदिवसे, लद्धाश्रो पढमभिवखायो॥ 311 // उसभरस उ पारणए, इक्खुरसो बासि लोगनाहस्स / सेसाणं परमरणं, श्रमयसरसोवमं श्रासी // 320 // घुट्ठ च अहोदाणं, दिव्वाणि अ ग्राहयाणि तूराणि / देवा य संनिवइया, वसुहारा चेव वुट्टा य // 321 // गयउर सिजसिक्खुरसदाण वसुहार पीढ गुरुपूत्रा। तक्खसिलायल-गमणं, बाहुबलिनिवेषणं चेव // 322 // हस्थिणउरं अोझा, सावत्थी तहय चेव साकेयं / विजयपुर बंभथलयं, पाडलिसंडे परमसंडं // 323 // सेयपुरं रिट्ठपुरं, सिद्धत्थपुरं महापुरं चेव / धराणकड वद्धमाणं, सोमणसं मंदिरं चेव // 324 // चकपुरं रायपुरं, मिहिला रायगिहमेव बोद्धव्वं / वीरपुरं बारवई, कोअगडं कोल्लयग्गामो // 325 // एएसु पढमभिक्खा, लद्धायो जिणवरेहि सव्वेहिं / दिगणाउ जेहि पढम, तेसिं नामाणि वोच्छामि // 326 // सिज्जंस बंभदत्ते, सुरेंददत्ते य इंददत्ते य। पउमे अ सोमदेवे, महिंद तह सोमदने श्र // 327 // पुस्से पुणवसू पुण नंद सुनंदे जए अ विजए य / तत्तो अधम्मसीहे, सुमित्त तह वग्घसीहे अ॥ 328 // अपराजिब विस्ससेणे, वीसइमे होइ बंभदत्ते श्र / दिराणे वरदिराणे पुण, धरणे बहुले श्र बोद्धब्वे // 326 // एए कयंजलिउडा, भत्तीबहुमाण-सुब लेसागा / तकालपट्ठमणा, पडिलाभेसु जिणवरिदे // 330 // सव्वेहिपि जिणहिं, जहियं लद्धायो पढमभिक्खायो / तहिग्रं वसुहाराश्रो, बुट्टायो पुष्प.बुट्टीयो // 331 // श्रद्धतेरसकोडी, कोसा तत्थ होइ वसुहारा / श्रद्धतेरस लवखा, जहरिणथा होइ वसुहारा // 332 // सव्वेसिपि जिणाणं, जेहिं दिगणाउ पढमभिक्खायो / ते पयणुपिजदोसा,