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________________ 2222222222252525 106 मी महानिधिसूत्र ययनं 23. आणं अश्क्क मले ले कापुरिसे न सम्पुरिसे॥१०१ भत्ताधारी सूरी भरगयाराविक्खो सूरी। उम्मगरिमी सूरी ति. पिणवि मग पायासंनि // 1025 उम्मगरिए सिंमिनि यं भवसत्तसंघाए / जम्हा त मरगमणु सति सम्हा का तं जुतं // 13 // एक-घि जी दत्तं सतं परिबीहि उम। ससुरासुरंमिवि जसे तेणेहंघोशिसं अमाथा / / 206 // भए अस्थि भविस्संति कई जगवंदणीथकमजुयले / जेसिपहिय करणेक्कबजलक्या वोलिही कालं / / 105 // भूप भगाइका. लेण केई होति गोयमा ! सरी। जामगणेलिजेसिं होज नियमेया पतिं / / 106 // एवं गजवथ दुरचराहाणां (वंतरं तु जो खंडे / तं गोयम ! जाण गणिजियोऽणंतसंसारी // 10 // जं सचलजीवजगमंगले चलकल्ला णपरमकललारे / सिदिपा वीन्धिो पत्रितं होड़ तं गणिती // 10 // तम्हा सोयनात मित्तपतो ण पहियरए किल्लामखुणा अथ्य आणा ण लंधया / 19 एवं मरमाधयाना एयं ग. छववत्य लंधे तिगारोह पवि। संभाईए गणियो अज्जरि बोहि न पावंति // 16 // ण लभेहिनि य अन्ने अतहकोवि परिम नि. स्थं / चउगइभवसंसारे चिटिज चिर सुकवते // 111 // चोदस रज्जूलोगे जोयम' वालाको उमेरपि / तं नाथ पएसजन्य असमरटो संपन्न .. मोहोणि. लक्सा जोणी नशि गोयम' / उहाले ? तो सनो जीवा समयन्जा 25 गन्नाहि सं.भन्न निरंतरंजडा गोमा दमन र गुदां जयं. 114 / आगे जाक नस्म सोपतानपीलणे / / कोडीगुणं जयं दुकस कोडाकोरिगुणाय वा // 12 // जायमा / णाय जं टुक्वं मरमाणाण जंतणं / तेण दुक्पविधागे (नि ssssssssssssss
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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