________________ श्री पञ्चकल्प भाध्यम 6163] ढं बियाणाहि // 17994 तरस तु मुद्धालभे जावज्जीन यि होतऽसु हेणं / कायलंत णियमा पुरिमागाट अवे एतं // 19 // जेण कु लं आयतं नं पुरिम आयरेण रकमेज्जा / ण हु तुंबाम विणदहे अश्या साधारणा होति // 10550 संजोगादहपाढी कामुग उदेस णासु जो कुसलो / एनारिसस असती पायब निगिरमागा॥ मज्जण लि विभासा असणे पाणए य पाणे य / केव डियाण पयाणे अण्णह चित्तो गिलाणो वा // 10 // होज्ज व महायतो अब्धता वा वि अहव असमस्या / एय महायागाउं तम्हा तु मुणी विहरेज्जा // 12 // जाति पवयणमी पडिमेवा मूलउत्तरगुणेनु / ता सन्तनु मुद्देसू मुहमसुद्धा अन्सुरेन्ड // 1 // आगाठमणागाठे एवं जत्थ होति कणिज्नं / तं नह महहमाणे दमणकय्यो हर्नान एमो // 10 // एमो दंगणकप्पो भएणा सुतकप्पमो तु बोधाम / जे तत्व होति विषयो हिज्जए जेण वा विधिणा // 105 // टुहिम आगमंमी मुले अत्येय जे जहिं भावा। सुत्तममुनकडाणं पविस्थ ताण अत्यं // 10 // नित्याने णाम मुत्तौमै गहिए अन्यो ऊ दिज्जती / मुने हिज्जियब्वे ऊ मज्जादा तु इमा भवे // 1007 // पडिहण काऊणं सज्झायं पदहवेनु बदहादी। आयरियादिणिमेज्नं करीत पच्छा य सज्झायं // // पोकीम सा तं ना. यंका) चक्मिाए पटियपनपडिलेडे / तारे नु अन्धपोलान मिणा विडिणा णा करेंती तु 09 // काउययग्गे वक्त्येवणा य विकहा विमोनिया / पयतो / अभडाणे वा कालणाय अक्लेव माहरणा // 10 // अण्णो विय सुतकप्पो सोयच्वं मंडलीय गर्याणए / अणुओगधम्मताए नितिऊम्म होति कायब / / 1921 // वक्यातो सुतस्प्पो एत्तो वोच्छामि अज्झयणकप्पं / दायव जेण विहिया जग्गुण जुनस्स वानं // 1812 // जोए परियाए अरहे य मरहे य विणयपाडवरणे / मुनस्पतदुमएमुंजे अज्झयणेसु अभागा / 1813 // जयसागाटो जोगो त आ. गाटेण चेव दाय / मणगादे अणगाट एतो वोच्छामि परियागं 1/1814 // ज मसपनीमाणं गतं सुतमि तिरिसादीयं / तं तेणं , माणेण उद्दिलियब भवे सुनं सुइिंडयावमाणचिनिमा 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽