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________________ वा जगहाइ अविरहियं / म उ सुकपक्खस्स ! पन्नरसमेव वं प्रकीर्णकांनि श्रीदेवेन्द्रस्तप्रकीर्णकम् ) : [77 राणं // 141 // केणं वड्डइ चंदो ? परिहाणी केण होइ चंदस्स ? / कालो वा जुराहा वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? // 142 // किराहं राहुविमाणं निच्चं चंदेण होइ अविरहियं / चउरंगुलमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स तं चरइ // 143 // छावढि छावढेि दिवसे दिवसे उ सुक्कपक्खस्स / जं परिवड्डइ चंदो खवेइ तं चेव कालेणं // 144 // पन्नरसइभागेण य चंदं पन्नरसमेच चंकमइ / पन्नरसइमागेण य पुणोवि तं चेव पकमइ // 145 // एवं वड्डइ चदो परिहाणी एव होइ चंदस्म / कालो वा जुराहा वा तेण यऽणुभावेण चंदस्स // 146 // अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोगा य उववराणा / पंचविहा जोइसिया बँदा सूरा गहगणा य // 147 // तेण परं जे सेसा चंदाइच गहतारनक्खत्ता / नत्थि गई नवि चारो अवट्ठिया ते मुणेयव्वा // 148 // दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणतोए। धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य // 146 // एगे जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा हुति / कालोयए तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे // 150 // धायइसंडप्पभिई उहिट्ठा तिगुणिया भवे चंदा / थाइलचंदसहिया अणंतराणंतरे खित्ते // 151 // रिवखग्गहतारग्गा दीवसमुदाण इच्छसे नाउं / तस्स ससोहि उ गुणियं रिक्खग्गहतारयग्गं तु // 152 // बहिया उ माणुसनगस्स चंदसूराणवट्ठिया जोगा। चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुण हूंति पुस्सेहिं // 153 // चंदायो सूरस्स य सूरा ससिणो य अंतरं होई। पराणाससहस्साइं जोयणाणं अणूणाई // 154 // सूरस्स य सूरस्म य ससिणो ससिणो य अंतरं होइ। बहिया उ माणुसनगस्स जोगणाणं सयसहस्सं // 155 // सूरंतरिया चंदा चंदंतरिया उ दिणयरा दित्ता / चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य // 156 // अट्ठासीयं च गहा अट्ठावीसं च हुति नक्खत्ता। एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वुच्छामि // 157 / / छावट्ठि सहस्साई नव चेव सयाई पंचसयराई। एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं // 158 // वाससहस्सं पलिग्रोवमं च सूराण सा
SR No.004369
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_chatusharan, agam_aaturpratyakhyan, agam_mahapratyakhyan, agam_bhaktaparigna, agam_tandulvaicharik, agam_sanstarak, agam_gacchachar, & agam_chandra
File Size16 MB
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