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________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 19 ] [ 437 केणं वदति चंदो ? परिहाणी केण हुंति चंदस्स ? / कालो वा जोगहो वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? // 24 // किराहं राहुविमाणं णिच्चं चंदेण होइ अविरहितं / चतुरंगुलमसंपत्तं हिचा चंदस्स तं चरति // 25 // बावट्टि 2 दिवसे 2 तु सुक्कपक्खस्स / जं परिवड्डति चंदो खवेइ तं चेव कालेणं // 26 // पराणरसइभागेण य चंदं परणरसमेव तं वरति / पराणरसतिभागेण य पुणोवि तं चेव वक्कमति // 27 // एवं वड्डति चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स। कालो वा जुराहो वा एवऽणुभावेण चंदस्स // 28 // अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा तु उववराणा / पंचविहा जोतिसिया चंदा सूरा गहगणा य // 21 // तेण परं जे सेसा चंदादिचगहतारणक्खत्ता / णत्थि गती णवि चारो अवट्टिता ते मुणेयव्वा // 30 // एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा हुंति। लावणगा य तिगणिता ससिसूरा धायइसंडे // 31 // दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सायरे लवणतोए। धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य // 32 // धातइसंडप्पभितिसु उहिट्ठा तिगुणिता भवे चंदा / श्रादिलवंदसहिता अणंतराणंतरे खेत्ते // 33 // रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी ·णाउं / तस्ससीहिं तग्गुणितं रिक्खग्गहतारगग्गं तु // 34 // बहिता तु माणुसनगस्स चंदसूराणऽवट्ठिता जोराहा / चंदा अभीयीजुत्ता सूरा पुण हुँति पुस्सेहि // 35 // चंदातो सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ। पराणाससहस्साई तु जोयणाणं अणूणाई // 36 // सूरस्स य 2 ससिणो 2 य अंतरं होइ। बाहि तु माणुसनगस्स जोयणाणं सतसहस्सं // 37 // सूरंतरिया चदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता / चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य // 38 // अट्ठासीतिं च गहा अट्ठावीसं च हुंति नक्खत्ता। एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि // 31 // छावट्ठिसहस्साई णव चेव सताई पंचसतराई / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं // 40 // 30 / अंतो मणुस्सखेत्ते जे चंदिमसूरिया गहगणणखत्तताराख्वा ते णं देवा किं
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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