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________________ श्रीमतसूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : प्रा०८] [ 367 7 / अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवति, सत्तरसमुहुते दिवसे तेरसमुहुत्ता राई, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगतेरसमुहुत्ता राई, सोलसमुहुत्ते दिवसे चोदसमुहुत्ता राई, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगचोदसमुहुत्ता राई, पराणरसमुहुत्ते दिवसे पराणरसमुहुत्ता राई, पगणरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगपरणरसमुहुत्ता राई भवइ, चउद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई, चोदप्समुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसोलसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसत्तरसमुहुत्ता राई, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई, एवं भणितव्वं 8 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे वासाणं पढमे समए पडिवजति तताणं उत्तरद्धेवि वासाणं पढमे समए पडिवजति 1 / जता णं उत्तरद्धे वासाणं पढमे समए पडिवजति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमे णं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवजइ 10 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवजइ तता णं पचत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पविजइ 11 / जया णं पचत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिबजइ तता णं जंबु. दीवे 2 मंदरदाहिणे णं अणंतरपच्छाकयकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवराणे भवति 12 / जहा समयो एवं श्रावलिया प्राणापागू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ, एवं दस पालावगा जहा वासाणं एवं हेमंताणं गिम्हाणं च भाणितव्वा 13 / ता जता णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे पढमे अयणे पडिवजति तदा णं उत्तरद्धेवि पढमे श्रयणे पडिवजइ 14 / जता णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवजति तदा णं दाहिणद्धेवि पढमे अयणे पडिवजइ 15 / जता णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवजति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमपञ्चत्थिमे णं अणंतर
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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