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________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 21 ] [ 283 पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता भरणियाईया सत्त णखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 5, 1 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु ता कत्तियाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता ते एवमाहंसु, तं जहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसु पुस्सो असिलेसा महाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तं जहा-महा पुवाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्यो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाईया, सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासादा यभिई सर्वणो, धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंनहा-धमिटा सयभिसया पुवापोठुवया उत्तरापोटुवया रेखई अस्सिणी भरणी 1, 2 / तत्य णं जे ते एवमाहंसु-ता महाईया सत्त णक्खत्ता पुधदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु तं जहा-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई बिसाहा 1, अणुराहाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तं जहा-अणुराहा जेट्टा मूले पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभिई सवणे 2, धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-धणिट्ठा सयभिसया पुव्वापोट्टवया उत्तरापोट्टवया रेवई अस्सिणी भरणी 3, कत्तियाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा श्रद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा 1, 2, 3 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा-धणिट्ठा सयभिसया पुबाभदवया उत्तराभवया रेवई अस्सिणी भरणी 1, कत्तियाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा अदा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा, 2, महाईया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा 3, अणुराहाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहाअणुराहा जेट्ठा मूलो पूज्वासाढा उत्तरासाढा अभिई सवणो 4,3,4 / तत्थ णं खतादातराफागणी
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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