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________________ 12] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः मझिमए पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्सीयो पराणत्तायो बाहि. रए पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीनो पराणत्ताश्रो, एवामेव सपुब्बावरेणं तिहिं पउमपरिक्खेवेहिं एगा पउमकोडी वीसं च पउमसयसाहस्सीयो भवंतीति अक्खायं 15 / से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पउमड़हे 2 ?, गोत्रमा ! पउमदहे णं तत्थ 2 देसे तहिं 2 बहवे उप्पलाई जाव सयसहस्सपत्ताई पउमद्दहप्पभाई (पउमदहवराणाई ) पउमदहवराणाभाई सिरी श्र इत्थ देवी महिद्धीया जाव पलिश्रोवमट्टिईया परिवसइ, से एएण?णं जाव अदुत्तरं च णं गोत्रमा ! पउमदहस्स सासए णामधेज्जे परणत्ते ण कयाई णासि न कयाई णत्थि जाव भरहे वासे 16 // सूत्रं 74 // तस्स उणं पउमद्दहस्स पुरथिमिल्लेणं तोरणेणं गंगा महाणई पवूढा समाणी पुरत्थाभिमुही पञ्च जोषणसयाई पवएणं गंता गंगावत्तणकूडे श्रावत्ता समाणी पन तेवीसे जोत्रणसए तिगिण श्र एगूणवीसइभाए जोश्रणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोश्रणसइएणं पवाएणं पवडइ 1 / गंगा महाणई जश्रो पक्डइ इत्थ णं महं एगा जिब्भिया पराणत्ता, सा णं जिभिया श्रद्धजोत्रणं आयामेणं छ सकोसाइं जोत्रणाई विक्खंभेणं युद्ध कोसं बाहल्लेणं मगर-मुह-विउट्ठ-संठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा सराहा 2 / गंगा महाणई जत्थ पवडइ एत्थ णं महं एगे गंगप्पवाए कुडे णामं कुंडे पराणत्ते, सहि जोषणाई आयामविखंभेणं णउग्रं जोषणसयं किंचिविसेसाहिश्र परिक्खेवेणं, दस जोषणाई उव्वेहेणं अच्छे सराहे रययामयकूले समतीरे वइरामयपासाणे वइरतले सुवरण-सुब्भ-रययामयवालुवाए वेरुलित्रमणि-फालिन-पडलपञ्चोपडे सुहोबारे सुहोत्तारे णाणा-मणि-तिस्थसुबद्धे वट्टे अणुपुव्व-सुजाय-वप्प-गंभीर-सीअलजले संछराण-पत्त-भिसमुणाले बहुउप्पलकुमुश्र-गलिण-सुभग-सोगंधि-पोंडरीश्र-महापोंडरीश्र-सयपत्त-सहस्सपत्त
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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