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________________ 300 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पप्ठो विभागः पुढवि-नेरइय--पंचिंदिय--वेउब्वियसरीरेवि अपजत्तग-रयणप्पभापुढवि-नेरइयपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि, एवं जाव अधेसत्तमाए दुगतो भेदो भाणितव्वो . 7 / जइ तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं संमुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदियवेउब्विय-सरीरे ?, गोयमा ! नो समुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे गब्भवक्कंतिय तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे 8 / जति गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरे किं संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरे असंखिजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्धिय-सरीरे ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय--वेउब्विय-सरीरे नो असंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे 1 / जइ संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे किं पजत्तगसंखेजावासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे अपजत्तगसंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय---तिरिक्खजोणिय-पंचिंदियवेउब्बिय-सरीरे ?, गोयमा ! पजत्तग-संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्धिय-सरीरे नो अपजत्तंग-संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे 10 / जइ संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे किं जलयरसंखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्यिय-सरीरे थलयरसंखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिवखजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे खहयरसंखेजवासाउय---गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे ?, गोयमा! जलयरसंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि थलयरसंखेजवासाउय--गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरेवि खहयरसंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्ख
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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