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________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-4 ] [ 267 इ वा घोसाडिफले इ वा कराहकंदए इ वा वजकंदए इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, कराहलेसा णं एत्तो अणि?तरिया चेव जाव श्रमणामयरिया चेव श्रासाएणं पनत्ता 1 / नीललेसाए पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए भंगीति वा भंगीरए इ वा पाढा इ वा चविया इ वा चित्तामूलए इ वा पिप्पली इ वा पिप्पलीमूलए इ वा पिप्पलीचुराणे इ वा मिरिए इ वा मिरियचुराणए इ वा सिंगबेरे इ वा सिंगबेरचुराणे इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, नीललेस्सा णं एत्तो जाव ग्रमणामतरिया चेव यासाएणं पन्नत्ता 2 / काउलेस्साए पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलिंगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भन्जा(ट्ठा, चा)ण वा फणसाण वा दाडिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडयाण वा बोराण वा (चोराण(पोराण)वा) तिंदुयाण वा अपक्काणं अपरिवागाणं वन्नेणं अणुववेयाणं गंधेणं अणुववेयाणं फासेणं अणुववेयाणं, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, जाव एत्तो श्रमणामयरिया चेव काउलेस्सा अस्साएणं पन्नत्ता 3 / तेउलेस्सा णं पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए अंबाण वा पकाणं परियावन्नेणं उववेयाणं पसत्येणं जाव फासेणं जाव एत्तो मणामयरिया चेव तेउलेस्सा पासाएणं पन्नत्ता 4 / पम्हलेस्साए पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए चंदप्पभा इ वा मणसिला इ वा वरसीधू इ वा वरवारुणी इ वा पत्तासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा चोयासवे इ वा यासवे इ वा महूइ वा मेरएइ वा कविसाणए इ वा खज्जूरसारए इ वा मुद्दियासारए इ वा सुपकखोतरसे इ वा अपिट्ठणिट्ठिया 3 वा जंबुफलकालिया इ वा वरप्पसन्ना इ वा (ग्रासला) मंसला पेसला ईसी अोढवलंबिणी ईसी वोच्छेदकडुई ईसी तंबच्छिकरणी उक्कोसमदपत्ता वन्नेणं उववेया जाव फासेणं यासायणिज्जा वीसायणिज्जा पीणणिज्जा विहणिज्जा दीवणिज्जा दप्पणिजा मदणिजा. सव्वेदियगायपल्हायणिजा, भवेयारूवा ?,
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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