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________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 11 ) [ 166 भासं भासंति णो मोसं भासं भासंति णो सच्चामोसं भासं भासंति एगं असच्चामोसं भासं भासंति णगणत्थ सिक्खापुब्वगं उत्तरगुणलद्धिं वा पडुच्च सच्चपि भासं भासंति मोसंपि भासं भासंति सच्चामोसंपि भासं भासंति असच्चामोसंपि भासं भासंति 5 / मणुस्सा जाव वेमाणिया, एते जहा जीवा तहा भाणियव्वा 6 // सूत्रं 167 // जीवे णं भंते ! जातिं दव्वाति भासताए गिराहति ताई किं ठियाइं गेराहति अठियाइं गेराहति ?, गोयमा ! ठियाइं गिराहति नो अठियाइं गिराहति 1 / जाई भंते ! ठियाइं गिराहति ताई किं दव्वंतो गिराहति खेत्ततो गिराहति कालतो गिराहति भावतो गिराहति ?, गोयमा ! दव्वयोवि गिराहति खेत्तयोवि गेराहति कालोवि गेराहति भावग्रोवि गिराहति 2 / जाति भंते ! दव्वयो गेराहति ताई किं एगपदेसिताइं गिराहति दुपदेसियाई गेहति जाव अणंतपदेसियाई गेराहति ?, गोयमा ! नो एगपदेसियाई गेराहति जाव नो असंखिज्जपदेसियाई, गिराहइ अणंतपदेसियाई गेराहति 3 / जाइं खेत्तयो गेराहति ताई कि एगपएसोगाढाई गेराहति दुपएसोगाढाइं गेराहति जाव असंखेजपएसोगाढाई गेराहति ?, गोयमा ! नो एगपएसोगाढाइं गेराहति जाव नो संखेजपएसोगाढाई गेराहति असंखेजपएसोगाढाइं गेराहति 4 / जाइं कालतो गेहति ताई किं एगसमयझ्यिाई गेराहति दुसमयठिड्याइं गिराहति जाव असंखिजसमयठिइहाइं गेराहति ?, गोयमा ! एगसमयठितीयाइंपि गेराहति दुसमयठितीयाइंपि गेराहति जाव असंखेजसमयठितीयाइंपि गेराहति 5 / जाइं भावतो गेराहति ताई किं वरणमंताई गेराहति गंधमंताई गेराहति रसमंताई गेराहति फासमंताई गेराहति ?, गोयमा ! वरणमंताईपि गेराहति जाव फासमंताईपि गेराहति 6 / जाइं भावयो वरणमंताइपि गेराहति ताई किं एगवराणाई गेराहति जाव पंचवरणाई गेराहति ?, गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च एगवरणाइंपि गेराहति जाव पंचवरणाइंपि गेराहति, सव्वगहणं पडुच्च णियमा पंचवरणाई
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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