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________________ 404 ) [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः :: पञ्चमो विभागः विसेसाहिया ग्राउकाइया विसेसाहिया वाउक्काइया विसेसाहिया वणस्सतिकाइया अणंतगुणा एवं अपजत्तगावि पजतगावि 1 / एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं पजत्तगाण य अपजत्तगाण य कपरेशहितो अप्पा वा एवं जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुदविकाइया अपजत्तगा पुढविकाइया पजत्तगा संखेजगुणा 2 / एतेसि णं भंते / श्राउकाइयाणं पजतगाण य अपजत्तगाण य कयरेशहितो अप्पा वा एवं जाव विसेसाहिया सम्बत्थोवा पाउकाइया अपजत्तगा पजत्तगा संखेजगुणा जाव वणस्सतिकाइयावि, सम्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा तासकाइया अपजत्तगा श्रसंखेजगुणा 3 / एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाग जाव तसकाइयाणं पजतगाणं अपजत्तगाण य कयरे२हिंतो अप्पा वा 4 ?, सम्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा तसकाझ्या अपजत्तगा असंखेजगुणा तेउकाइया अपजत्ता असं. खेजगुणा पुढविकाइया श्राउकाइया वाउकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया तेउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा पुढवियाउबाउपजत्तगा विसेसाहिया, वणस्सतिकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा तसकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया, वणस्सतिकाइया पजत्तगा संखेजगुणा, सकाइया पजत्तगा विसेसाहिया 4 // सू० 221 // सुहुमस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव सुहुमणियोयस्स, एवं अपजत्तगाणवि पजत्तगाणवि जहराणेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं // सू० 230 // सुहुमे णं भंते ! सुहुमेत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं असंखेजकालं जाव असंखेजा लोया, सव्वेसिं पुढविकालो जाव सुहुमणियोयस्स पुढविकालो, अपजत्तगाणं सव्वेसि जहराणेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं, एवं पजत्तगाणवि सव्वेसिं जहराणेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं // सू० 231 // सुहुमस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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