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________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 8 ] [ 103 (कप्पइ) विहरित्तएत्तिकटु अराणमराणस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 बहूहिं चउत्थ जाव विहरति 8 / तते णं से महब्बले अणगारे इमेणं कारणेणं इत्थिणामगोयं कम्मं निव्वत्तेसु-जति णं ते महब्बलवजा छ अणगारा चउत्थं उवसंपजित्ताणं विहरंति ततो से महबले अणगारे छ8 उवसंपजित्ता णं विहरइ, जति णं ते महब्बलवजा अणगारा छ8 उवसंपजित्ता णं विहरंति ततो से महब्बले यणगारे अट्ठमं उवसंपजित्ता णं विहरति, एवं अट्ठमं तो दसमं ग्रह दसमं तो दुवालसं, इमेहि य णं वीसाएहि य कारणेहिं श्रासेवियबहुलीकएहिं तित्थयरनामगोयं कम्मं निव्वत्तिंसु, तंजहा-अरहंत 1 सिद्ध 2 पवयण 3 गुरु 4 थेर 5 बहुस्सुए 6 तवस्सीसु 7 // वच्छल्लया य तेसिं अभिक्ख णाणोवोगे य 8 // 1 // दसण 1 विणए 10 श्रावस्सए य 11 सीलव्वए निरइयारं 12 / खणलव 13 तव 14 चियाए 15 वेयावच्चे 16 समाही य 17 // 2 // अप्पुवणाणगहणे 18 सुयभत्ती 11 पवयणे पभावणया 20 / एएहिं कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ जीयो (एसो, सो उ)॥३॥ 8 / तए णं ते महाब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति जाव एगराइयं उवसंपजिताणं विहरंति, 1 / तते गां ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरंति, तंजहा-चउत्थं करेंति 2 सव्वकामगुणियं पारेंति 2 छ? करेंति 2 चउत्थं करेंति 2 अट्ठमं करेंति 2 छ8 करेंति 2 दसमं करेंति 2 अट्ठमं करेंति 2 दुवालसमं करेंति 2 दसमं करेंति 2 चाउद्दसमं करेंति 2 दुवालसमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 चोदसमं करेंति 2 अट्ठारसमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 वीसइमं करेंति 2 अट्ठारसमं करेंति 2 वीसइमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 अट्ठारसमं करेंति 2 चोदसमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 दुवालसमं करेंति 2 चाउद्दसमं करेंति 2 दसमं करेंति 2 दुवाल
SR No.004365
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages510
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, agam_anuttaropapatikdasha, agam_prashnavyakaran, & agam_vipakshrut
File Size12 MB
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