SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छ / श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र ना उपरांत दशकालिकसूत्रता षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छ / आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे छ / अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणी-पान कगवी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे / / . 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छ / (1) अंगसूत्री-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२ / आ सूत्रोन स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक. श्रीसंघमा सलंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रोनु 14 विभागमां संपादन थशे / पहेलो, बीजो, चोथो, पांचमो, छटो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आत्रीजी विभाग संपादित थयैल छे। आ विभागमा श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति अपरनाम श्री भगवती सूत्रना 13 शतक थी 41 शतक सुधी उत्तरार्ध आपवामां आवेल छे. श्रीभगवतीसूत्रनी रचना गणधरदेव श्रीमत्सुधर्मस्वामी भगवाने करी छे. आ श्री भगवती सूत्रना संपादनमा बाबु श्रीधनपतसिंहजी रायबहादुर प्रकाशित सटीक भगवती सूत्र तथा पूज्य आगमोद्वारक आचार्यदेव श्री सागरानन्दसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममञ्जूषा तथा श्रीआगमोदयसमिति प्रकाशित पू. आ० श्रीअभयदेवसूरीश्ववरजी महाराज विरचित टीका, सहितनु श्रीभगवतीमत्र, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी पेढी प्रकाशित सटीक श्री भगवतीसूत्र, तेमज पूज्य आचार्यश्री दानशेखरसूरीश्वर विरचित टीका तेमज पं. हीरालाल हंसराज प्रकाशित श्री भगवतीसूत्र, विगेरे प्राप्त प्रकाशनो नो उपयोग कर्यो छे। ते ग्रन्थोना कर्ता संपादक अने प्रकाशक प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करूंछु / टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छ / श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादनथी घणी अनुकूलता रहेशे अने अथी उत्साही मुनि भगवंतो होशे होंशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy