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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतकं 6 : उ०३३] [327 उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमस्थएहिं बत्तीसतिबद्धेहिं नाडएहिं णाणाविह-वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवनचिजमाणे उवनचिजमाणे उवगिजमाणे 2 उवलालिजमाणे 2 पाउस-वासारत्त-सरद-हेमंत-वसंत-गिम्हपज्जते छप्पिउऊ जहा विभवेणं माणमाणे 2 कालं गालेमाणे इ8 सदफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणे विहरइ 1 / तए णं खत्तियकुंडग्गामे नगरे सिंघाडग-तिय-चउक-चचर जाव बहुजणसद्देइ वा जहा उववाइए जाव एवं पनवेइ एवं परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे श्राइगरे जाव सम्वन्नू सव्वदरिसी माहणकुडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं महष्फलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं जहा उववाइए जाव एगाभिमुहे खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छंति निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंड. ग्गामे नगरे जेणेव बहुसालए चेइए एवं जहा उववाइए जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति 2 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तं महया जणसह वा जाव जणसन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-किन्नं अज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुदमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेइ वा भूयमहेइ वा कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नईमहेइ वा दहमहेइ वा पव्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ वा थूभमहेइ वा ? जगणं एए बहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरव्वा खत्तिया खत्तियमुत्ता भडा भडपुत्ता जहा उववाइए जाव सत्थवाहप्पभिइयो राहाया कयबलिकम्मा जहा उववाइए जाव निग्गच्छति ?, एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता कंचुइजपुरिसं सदावेति 2 त्ता एवं क्यासी-किराहं देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छति ?, 3 / तए णं से कंचुइज्जपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुडे समणस्स भगवत्रो महावीरस्स
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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