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________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 7:: उ० 1] 5, 3 // सूत्रं 266 // अणगारस्म णं भंते ! अबाउत्तं गच्छमाणस्स वा चिट्ठमाणस्स वा निसियमाणस्स वा तुयट्टमाणस्स वा अणाउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायछणं गेरहमाणस्स वा निक्खिवमाणस्त वा तस्स णं भंते ! कि ईरियारहिया किरिया कजइ ? संपराइया किरिया कजइ ? गोयमा ! नो ईरियावहिया किरिया कजति संपराइया किरिया कजति / से केण?णं जाव कजति ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ नो संपराइया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाणमायालोभा श्रवोच्छिन्ना भवंति तस्स णं संपरायकिरिया कजइ नो ईरियावहिया, ग्रहासुत्तं रीयमाणस्स ईरियावहिया किरियो कन्जइ उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कन्जइ,से णं उस्सुत्तमेव रियति, से तेण?णं. जाव कजति // सूत्रं 267 // ग्रह भंते ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाणभोयणस्स के अट्ठ पराणते ?, गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासएसणिज्ज असणपाण 4 पडिगाहित्ता मुच्छिए गिद्धे गदिए यझोववन्ने थाहारं याहारेति एस णं गोयमा ! सइंगाले पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज्ज असणपाण 4 पडिगाहित्ता महया 2 अपत्तियकोहकिलामं करेमाणे थाहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! सधूमे पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा 2 जाव पडिग्गहेत्ता गुणुप्पायणहेउं अन्नदव्वेण सद्धिं संजोएत्ता आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणादोसदुढे पाणभोयणे, एस णं गोयमा ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुटुस्स पाणभोयणस्स अट्ठ पन्नत्ते 1 / अह भंते ! वीतिगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स के अट्ठ पन्नत्ते ?, गोयमा ! जे णं निग्गंथो वा 2 जाव पडिगाहेत्ता अमुच्छिए जाव श्राहारेति एस णं गोयमा ! वीतिंगाले पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा जाव पडिगाहेत्ता णो महया अप्पत्तिय जाव
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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