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________________ 276 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः च्छिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा (पन्नत्ता) बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव। एवं जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव दोसु वासेसु मणुया छबिहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहाभरहे चेर एरवते चेत्र, णवरं कूडसामली चेव धायइरुक्खे चेव, देवा गरुले चे। वेणुदेवे सुदंसणे चेव २।धाततीसंडदीव-पच्चच्छिमद्धे णं मंदरस्स पव्ययरस उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चे जाव छबिहंपि कालं पचणुभषमाणा विहरति भरहे चेव एरवए चेव, णारं कूडसामली चेव महाधायतीरुवखे चेव, देवा थरुले चेव वेणुदेवे पियदंसणे चे 3 / धायइसंडे णं दीवे दो भरहाइं दो एरवयाइं दो हेमवयाई. दो हेरनवयाइं दो हरिवासाई दो रम्मगधामाइं दो पुज्वविदेहाइं दो अवरविदेहाई दो दवकुरायो दो दवकुरुमहदुमा १०दो देवकुरुमहदुमवासी देवा दो उत्तरकुरायो दो उत्तरकुरुमहदुमा दो उत्तरकुरुमहदुमवासी देवा दो चुलहिमवंता दो महाहिमांता दो निसहा दो नीलवंता दो रुप्पी दो सिहरी (20) दो सदावाती दो सदावतवाली साती देवा दो वियडावाती दोषियडावातिवासी पभासा देवा दो गंधावाती दो गंधावातिवासी अरुगा देवा दो मालवंतपरियागा दो मालवंतपरियागावासी पउमा देवा दो मालवंता दो चित्तकूडा (30) दो पम्हकूडा दो नलिणकूडा दो एगसेला दो तिकूडा दो वेसमणकूडा दो अंजणा दो मातंजणा दो सोमणसा दो विजुप्पभा दो अंकावती (40) दो पम्हावनी दो श्रासीविसा दो सुहावहा दो चंदपव्वता दो सूरपव्वता दो णागपव्वता दो देवपञ्चया दो गंधमायणा दो उसुगारपव्वया दो चुलहिमवंतकूडा (50) दो वेसमणकूडा दो महाहिमवंतकूडा दो वेरुलियकूडा दो निसहकूडा दो 'रुयगकूडा दो नीलवंतकूडा दो उवदसणकूडा दो रुप्पिकूडा दो मणिकंचणकूडा दो सिहरिकूडा (60) दो तिगिच्छिकूडा दो पउमद्दहा दो पउमदहवासिणीयो सिरीदेवीयो दो महापउमद्दहा दो महापउमद्दहवासिणीयो
SR No.004362
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size22 MB
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