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________________ 11:17 " ગ્રન્યવાંચન શરૂ કરતાં પહેલા આ પત્રક મુજબ સર્વત્ર શુદ્ધિ કરી લેવી. '' शुद्धिपत्रकम् पृष्ठं पंक्तिः शुद्धम् पृष्ठं पंक्तिः शुद्धम् पृष्ठं पंक्ति शुद्धम् 2 . 12 संकीणी 25 20 कीर्ति 49 21 दर्शितश्चा 2 27 सर्वेषां __, 22 प्रलिना 52 17 शक्तिर्विद्यते 4 1 योऽवणि 26 1 तस्या 53 22 जानान 4 10 सर्वज्ञ 28 10 श्रमणो , 27 असदाचार 5 22 रसङ्क शिष्यिका , 29 जीवः , 11 साधर्मिक 54 .14 टूयमान 7 25 विन्य , 15 संघाताः , 21 माहात्म्येन 29 55 8 3 सर्बज्ञ 4 भाव्यं / 28 एतद्धि 11 9 स्वगुणैः 4 (सत्यः ) , 5 निवृत्त 12 . 12 त्वसाध्या 7 साधर्मिक , 31 कर्णात् 11 23 तदहर्निशम् 9 करास्ते 56 10 सार्थे नास्या 11 27 हर्निशम् , 10 पुनरे 57. 17 धूर्घ .. 31 3 ग्रन्थेऽभि 58 19 दुर्वि 32 15 मनोवाका 33 तद्गुरु 12. 18 सत्त्व 33 4 बिभर्ति 59 2 14.8 साद्ध तस्यैव 10. चक्रवर्त्तित्त्वं 60 12 लोकास्तेणां 14 10 प्रमदो 13 कूटाः . 62 7 चिरन्त 14 30 ततश्च 20 शक्त्या 65 26 कुर्वन्तु 14 31 निर्गुणो 36 21 कल्पयन्ति 67 14 मेतद्देवीकौशकेन 17 26 दोषनिमित्त , 5 (विसंवाह्य) , 20 श्रूयत 18 4 मूत्रात्र खाद्यानि अविवे 18 14 नानाध्यव 37 27 तर्हि 69 1 कर्णितं 19 8 . त्पिपासा 38 3 संपादयति 70 11 त्रासरहिता 19 23 विनिर्जित औजित्यं 71 13 देहिनम् 22 11 दम . 40 8 नवमबुध्य , 21 रात् / 22 22 रमाशनेषु 42 20 तस्माद् यद्वले 73 17 पुरुषो 22 26 क्लिश्यते 43 11 वर्तिनः , 24 पिटक 22 31 श्वेतश्च 44 28 पश्चात्ताप 74 10 व्यवहारं नाम 23 10 विद्यु 45 19 सोऽपूर्व " 30 सुष्टु कुशलं 24 26 हेतु निमन्त्रणायाः 75 15 तेषां 25 21 तद्द्वारेण 48 27 संसारसागरं " 20 मटट्टहासेन
SR No.004358
Book TitleUpmitibhav Prapancha Katha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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