________________ देविदत्थओ तत्थाऽऽसणा बहुविहा, सयणिज्जा य मणिभत्तिसयचित्ता।। विरइयवित्थडदूसा, रयणामयदामऽलंकारा / / 276 // [ईसिपब्भाराए सिद्धिसिलाए पुढवी ठाणं संठाणं पमाणं च सव्वट्ठविमाणस्स उ सव्वुवरिल्लाओ थूभियंताओ। ... बारसहि जोयणेहि इसिपब्भारा तओ पुढवी // 277 / / निम्मलदगरयवण्णा तुसार-गोखीर'-हारसरिवण्णा / भणिया उ जिणवरेहिं उत्ताणयछत्तसंठाणा // 278 // ... पणयालीसं आयाम-वित्थडा होइ सयसहस्साई। तं तिगुणं सविसेसं परीरओ होइ बोधव्वो // 279 // एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई। तीसं चेव सहस्सा दो य सया अउणपन्नासा 14230249 // 280 // खेतद्धयविच्छिन्ना अट्ठव य जोयणाणि बाहल्लं / परिहायमाणी चरिमंते मच्छियपत्ताओ तणुययरी / / 281 // संखंकसन्निकासा नामेण सुदंसणा आमोहा य।। अज्जुणसुवण्णयमई उत्ताणयछत्तसंठाणा // 282 // [सिद्धाणं ठाणं संठाणं ओगाहणा फासणा य] ईसीपब्भाराए' उवरि खलु जोयणम्मि लोगंतो। तस्सुवरिमम्मि भाए सोलसमे सिद्धमोगाढे // 283 // 1. ०र फेणसरि० प्र० हं० सा० // 2. ०ए सोयाए जोय प्र. ह. सा०॥