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________________ 31 12 द्वित्वादि संख्या अपेक्षा बुद्धि से उत्पन्न होती है और वह व्यंग्य है। पू० उपाध्याय जी ने इस बात का समर्थन किया है। 13 नैयायिक परमाणु को शाश्वत मानते है, जब कि जैन शाश्वत नहीं मानते / वह बात प्रस्तुत की गई है। 14 वैशेषिक मतानुसार परमाणुओ में पाक तथा न्यायमतानुसार अवयवी में पाक होता है, ऐसा बतलाते है / जबकि जैन दार्शनिक परमाणुओं में पाक से रूपादिक की उत्पत्ति और निषेध मानते है, यह बात यहां प्रस्तुत की है। 15. अनेक मणियों में भूरे, पीले आदि अनेक रूप प्रतीत होते है तथा उसे नैयायिक 'चित्ररूप' से परिचित कराते है। फिर यह एक है कि अनेक ? आदि विषयों का विचार किया गया है। . 16. नैयायिक ज्ञान को स्वसंवेदन नहीं मानते हैं जब कि जैन मानते है। इसकी सिद्धि की गई है। शान अभेद और अपरोक्ष है, ऐसा अद्वैतवादी मानते है परन्तु जैन यह नहीं मानते है इसका प्रत्याख्यान किया है। इस प्रकार आत्मख्याति के विषयों का सामान्य विहंगावलोकन कराया गया है / 2. वादमाला में क्या है ? वादमाला में जैन दर्शन के अनुसार सामान्य और विशेषात्मक जो हो वह वस्तु है। पदार्थ है / उसका अनेक विभिन्न मतों की आलोचना के साथ प्रतिपादन किया है। -- इसरी वादमाला में वस्तु लक्षण, सामान्य, विशेष इन्द्रिय अतिरिक्त शक्ति और अदृष्ट इन विषयों के छः वाद है नैयायिक आदि विद्वान, जाति को व्यक्ति से अत्यन्त भिन्न मानते है बौद्ध लोग जाति को अन्य व्यावृत्ति रुप मानते है जब कि जैन लोग जाति को भिन्नाभिन मानते है ! अर्थात् अमुक अपेक्षा से अभिन्न। इसलिए यहाँ सर्वथा भिन्न या सर्वथा अभिन्न माननेवाले दर्शनो के मन का खंडन किया है / नैयायिक विशेषको नित्य द्रव्य में रहने वाली एक अलग सत्ता को स्वीकारते नही / . इस विषय की चर्चा इस वाद विवाद में की है। सारव्य पाणी उपस्थ आदि को कर्मेन्द्रिय मानते है / जैन दर्शन इस बात को प्रमाण भूत नहीं मानता, इसलिए वह आता है कि आत्मामें ज्ञान की प्रक्रष्ट उपकारक हो वह इन्दिय कहलाती है। और शान होने में सिर्फ त्वचा और मन के संयोग को ही कितने लोग कारण मानते है / जैन दर्शन इस प्रकार नही मानता इसलिए इस बात का यहाँ खंडन किया है / बतात
SR No.004308
Book TitleNavgranthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashodevsuri
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages320
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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