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________________ 40 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन इस स्थिति में यह मान लेना कोई कठिन बात नहीं कि संन्यास और व्रतों की व्यवस्था के लिए श्रमण-धर्म वैदिक-धर्म का ऋणी नहीं है। वेद, ब्राह्मण और आरण्यक-साहित्य में महाव्रतों का उल्लेख नहीं है / जिन उपनिषदों, पुराणों और स्मृतियों में उनका उल्लेख है, वे सभी ग्रन्थ भगवान् पार्श्व के उत्तरकालीन है। अतः पूर्वकालीन व्रत-व्यवस्था को उत्तरवर्ती व्रत-व्यवस्था ने प्रभावित किया-यह मानना स्वाभाविक नहीं है। भगवान् महावीर भगवान् पार्श्व के उत्तरवर्ती तीर्थङ्कर हैं। उन्होंने भगवान् पार्श्व के व्रतों का ही विकास किया था। उन्होंने इस विषय में किसी अन्य परम्परा का अनुसरण नहीं किया। उनके उत्तरकाल में महाव्रत इतने व्यापक हो गए कि उनका मूल-स्रोत ढूँढ़ना एक पहेली बन गया। इस दिशा में कभी-कभी प्रयत्न हुआ है। उनके अभिमत इस प्रकार हैं-पार्श्वनाथ का धर्म महावीर के पञ्च महाव्रतों में परिणत हुआ है / वही धर्म बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में और योग के यम-नियमों में प्रकट (ग) एफ० मेक्समूलर-दी वेदाज, पृ० 146-148 : इनकी मान्यता है कि उपनिषदों में प्रतिपादित वेदान्त-दर्शन का काल मान ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी है। (घ) एच० सी० रायचौधरी-पोलिटिकल हिस्ट्री ऑफ एन्सियन्ट इण्डिया, पृ० 52 : ये मानते हैं कि विदेह का महाराज जनक याज्ञवल्क्य के समकालीन थे। याज्ञवल्क्य, बृहदारण्यक और छान्दोग्य उपनिषद् के मुख्य पाँच पात्र हैं। उनका काल-मान ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी है। वही, पृ० ९७—जैन तीर्थङ्कर पार्श्व का जन्म ईसा पूर्व 877 और निर्वाण-काल ईसा पूर्व 777 है। इससे भी यह सिद्ध होता है कि प्राचीनतम उपनिषद् पार्श्व के बाद के हैं। (ङ) राधाकृष्णन-इण्डियन फिलोसफो, भाग 1, पृ० 142 : (1) इनकी मान्यता है कि ऐतरेय, कौशीतकी, तैत्तिरीय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक-ये सभी उपनिषद् प्राचीनतम हैं। ये बुद्ध से पूर्व के हैं। इनका काल-मान ईसा पूर्व दसवीं शताब्दी से तीसरी शताब्दी तक माना जा सकता है। (2) राधाकृष्णन-दी प्रिंसिपल उपनिषदाज , पृ० 22 : बुद्ध-पूर्व के प्राचीनतम उपनिषदों का काल-मान ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी से ईसा तीसरी शताब्दी तक का है।
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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