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________________ खण्ड : 2, प्रकरण : 2 प्रत्येक-बुद्ध 366 जन-कथानक के अनुसार नेमिचन्द्र ने ( सुखबोधा, पत्र 144 ) नग्गति के प्रकरण में गान्धार की राजधानी पुण्डवर्धनपुर माना है और चूर्णि (पृ० 171) तथा शान्त्याचार्य ( बृहद् वृत्ति, पत्र 304 ) ने उसकी राजधानी 'पुरुषपुर' माना है। कथानक के इसी प्रकरण में इसकी राजधानी 'तक्षशिला' है। विद्वानों ने गान्धार देश की तीन राजधानियाँ मानी हैं____पुण्डवर्धन' (पुष्कलावती पुक्खली), तक्षशिला, पुरुषपुर / संभव है ये तीनों नगर भिन्न-भिन्न समय में गान्धार की राजधानियाँ रही हों। यह भी संभव है कि एक ही राज्यकाल में राजधानियों के समय-समय के परिवर्तन से ही भिन्न-भिन्न ग्रन्थों में भिन्न-भिन्न उल्लेख हुए हों। चारों प्रत्येक-बुद्धों के कथानक, जो जैन-साहित्य में निबद्ध हैं, बहुत ही विस्तृत और परिपूर्ण हैं। उनमें ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक तथ्यों का सुन्दर गुम्फन है और वे जीवन के अथ से इति तक का सारा वृत्तान्त प्रस्तुत करते हैं / बौद्ध-कथानकों में उनका जीवन नाम मात्र का है, केवल उनके प्रतिबुद्ध होने के निमित्त का वर्णन है / कथानक की सम्पूर्णता की दृष्टि से यह बहुत ही अपर्याप्त है। ___ डॉ. हेमचन्द्रराय चौधरी जातकों में उल्लिखित इन चारों प्रत्येक-बुद्धों को पार्श्वनाथ की परम्परा के साधु मानते हैं। इसी धारणा के आधार पर उन्होंने इनका काल-निर्णय भी किया है।४ ____ मुनि विजयेन्द्र सूरि ने इस मान्यता का खण्डन करते हुए राय चौधरी की भूल बताई है। विन्टरनिट्ज ने माना है—प्रत्येक बुद्धों की कथाएँ, जो जैन और बौद्ध-साहित्य में प्रचलित हैं, प्राचीन भारत के श्रमण-साहित्य की निधि रही हैं। उत्तराध्ययन की कथाओं के आधार पर करकण्डु और द्विमुख का अस्तित्व भगवान् महावीर के शासन काल में सिद्ध होता है / उसके दो मुख्य आधार हैं १-इसको पहचान 'चारसद्दा' से की जाती है। २-दी डिक्शनरी ऑफ पाली प्रोपर नेम्स, भाग 1, पृ० 983 / . ३-इसकी पहचान 'पेशावर' से की जाती है। ४-पोलिटिकल हिस्ट्री ऑफ एन्शिएण्ट इण्डिया (पाँचवाँ संस्करण) पृ० 147 / ५-तीर्थकर महावीर, भाग 2, पृ० 574 / 6-The Jainas in the History of India Literature, p. 8.
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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