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________________ युद्धसमुहेशः सीमान्तवती बलशाली शत्रु राजा को यदि धन देना चाहता हो तो विवाहोत्सव आदि के ब्याज से अथवा उसके यहां जाकर मिलने की भेंट के व्याज से दे। (आभिषमर्थमप्रयच्छतोऽनवधिः स्यान्निबन्धः शासनम् // 33 // . निबल राजा यदि सीमाधिप बलशाली राजा को उसका भोज्य अर्थ नहीं देता तो उसे दण्ड स्वरूप अवधि-शून्य बन्धन अर्थात् कारागार आदि प्राप्त होता है। (कृतसंधानविघातोऽरिभिविशीर्णयूथो गज इध कस्य न भवति माध्यः / / 34 // झुण्ड के अन्य हाथियों को इधर-उधर भगाकर जिस प्रकार अकेला हाथी सहज रूप से वश में कर लिया जाता है उसी प्रकार शत्रु के द्वारा सैन्य भंग कर दिये जाने पर राजा भी किसी साधारण राजा के द्वारा भी वश में किया जा सकता है। (विनिःसारितजले सरसि विषमोऽपि ग्राहो जलव्यालवत् // 25 // जिस तालाब का जल एक दम निकाल दिया जाता है। उसमें बड़ा शक्तिशाली भी घड़ियाल पानी के सांप की तरह प्रभावहीन हो जाता है।) (वनविनिर्गतः सिंहोऽपि शृगालायते / / 36 // बन से बाहर जाने पर सिंह भी स्यार तुल्य हो जाता है / .. (नास्ति संघस्य निःसारता किन्न स्खलयति मत्तमपि वारणं कुथित: तृणसङ्घातः // 38 // संघ को निःसार = व्यथं नहीं कहा जा सकता क्या बटे हुए मूंज की रस्सी से मतवाला हाथी भी बांधा नहीं जाता ?) (संहतैबिसतन्तुभिर्दिग्गजोऽपि नियम्बते // 38 // कमलनाल के कोमलतन्तुओं के समूह अर्थात् उसकी बनी रज्जु से दिग्गज भी बांधा जा सकता है। (दण्डसाध्ये रिपायुपायान्तरमग्नावाहुतिप्रदानमिव / / 36 // दण्ड साध्य शत्रु के लिये किसी दूसरे अर्थात् साम आदि उपायों का अवलम्बन अग्नि में आहुति शलने के समान है। (यन्त्रशस्त्रानिक्षारप्रतीकारे व्याधौ किं नामान्यौषधं कुर्यात // 40 // किसी यन्त्र विशेष, शस्त्र अर्थात चीर-फाड़ और अग्नि-क्षार अर्थात् किसी तेज तेजाब आदि से ही दूर को जा सकने वाली व्याधि के लिये कोई दूसरी औषधि क्या कर सकती है। 12 नी०
SR No.004293
Book TitleNitivakyamrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomdevsuri, Ramchandra Malviya
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1972
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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