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________________ स्वचेलता 73 विविध अनुक्रियाएं पंक्तिपत्र और कमरख की अनुक्रिया के लक्षण एकसमान होते हैं। पुनरावृत्ति से बचने के लिए मैं पंक्तिपत्र की गहरी उद्दीपना की अनुक्रिया का वर्णन सविस्तार करूँगा। मैंने एक पत्ती पर गहरे विद्युत आघात द्वारा उददीपना पहुँचायी। पहले एक यूनिट का 1,10, 50 और फिर 1 और 2 यूनिट तक। 1. पर कोई भी उत्तर नहीं मिला, किन्तु जब उददीपना 1. की गयी तब स्पष्ट प्रत्युत्तर मिला। जब उत्तेजना की गहराई 1 यूनिट की गयी तब प्रति क्रिया भी उसी प्रकार की हुई। इस प्रकार पंक्तिपत्र की पत्ती की अनुक्रिया 'सब या कुछ नहीं' (All or None) नियम का प्रदर्शन करती है / यह या तो अधिकतम प्रत्युतर देती है या चित्र ४४-पंक्तिपत्र की पत्ती की 1, 5, 1 बिलकुल ही नहीं। और 2 को उद्दीपना के प्रति अनुक्रिया / अन्तिम में इस प्रकार यह देखा अनुक्रिया बहुविध हो जाती है। जाता है कि 1 यूनिट की अनु क्रिया उसकी गहराई 10 की अन क्रिया से अधिक नहीं हुई / वह अधिक शक्ति जो उस पर उद्दीपना के रूप में आघात करती है, क्या हुई ? यह मानना आवश्यक नहीं है कि हर एक बार जितनी भी उददीपना-शक्ति का उपयोग होता है, वह गति का कारण होता है। इसका कुछ अंश ऊष्मा के रूप में बेकार भी हो सकता है। किन्तु दूसरी ओर यह भी सम्भव है कि कुछ समय के लिए अधिक शक्ति का संचय बाद में काम में लाने के लिए होता हो। एक भौतिक उदाहरण लीजिये, जो शक्ति एक संपीडित (Compressed ) झरने में संचित रहती है, उसे मुक्त करने पर निरन्तर प्रदोलन होता है। अब यह प्रश्न उठता है कि क्या पंक्तिपत्र की पत्ती में अत्यधिक उद्दीपना के बाद शक्ति समान रूप से संचित रहती है ? मान लीजिये कि ऐसा ही होता हो, जो अतिरिक्त शक्ति है वह संग्रह के काम में लायी जा सकती है और देखने वाले को उसी समय उसका पता नहीं चलता। किन्तु यही संचित शक्ति बाद में लयबद्ध या बारंबार होने वाली गति का रूप ले सकती है। वास्तविकता यही है जैसा 2 यूनिट की उद्दीपना पर हुआ। यहाँ हम देखते हैं कि एक
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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