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________________ वनस्पतियों के स्वंलेख रंग वाले पुष्पों का अकस्मात विवर्ण होना / नील कमल (Passion flower) की गाढ़-नील-शोण पंखुड़ियाँ जैसे जादू के जोर से निष्प्रभ श्वेत (Pallid white) हो जाती हैं। इस प्रकार यदि हम आधे फूल को गरम पानी में डुबोयें और आधे को बाहर छोड़ दें तो डूबा हुआ आधा भाग मृत होकर सफेद हो जाता है, जब कि बाहर वाला आधा अपना बैजनी रंग लिये रहता है। इसी प्रकार भारतीय लाल फूल, जयन्ती (Sesbania) का लाल रंग मृत्यु के बाद हल्का नीला हो जाता है / प्राकृतिक पदार्थों में सांघातिक तापमान प्रायः निश्चित होता है, करीब 60deg सेण्टीग्रेड या 140deg फार्नहाइट / जब वनस्पति उद्दीपना के आधिक्य से श्रान्त होती है, तो मृत्यु बिन्दु और भी कम हो जाता है और यह कभी श्रान्ति की मात्रा पर निर्भर रहती है / हमी लोगों की तरह वनस्पति भी जब थक जाता है तब मृत्यु के साथ वास्तविक संघर्ष करने में असमर्थ होता है। इस प्रकार एक रंगीन पंखुड़ी में श्रान्ति की अदृश्य परिधियों का मानचित्र लेना सम्भव है। इसके लिए हम धातु के दो निकृन्त पत्र (Stencil patterns) लेते हैं और अत्यधिक चमकीले रंग की पंखुड़ी को इनके बीच में रखते हैं। फिर दोनों निकृन्तों को विद्युत्-कुण्डल के दोनों विद्युदनों (Electrodes) से जोड़ देते हैं। इसके बाद पंखुड़ी में निश्चित स्थानों पर आघात पहुँचाया जाता है / इस प्रकार पंखुड़ी श्रान्त हो जाती है। जब निकृन्त हटा लिये जाते हैं तब हमें कोई स्पष्ट परिवर्तन नहीं दिखाई पड़ता, यद्यपि जिस स्थान पर विद्युत्-आघात किया जाता है, वहाँ पर श्रान्ति गोपनीय रूप से रहती है / अब हम यदि इस प्रादर्श को 50deg सें. गरम पानी में रखें तब पंखुड़ी के जो हिस्से ताजे रहते हैं, वे परिवर्तित नहीं होते। कारण, मृत्यु-विवर्णता 60deg सें. तापमान में ही होती है। किन्तु जो हिस्से श्रान्त हो चुके हैं, वे निम्नतर तापमान में ही मृत हो जाते हैं और विवर्ण होकर स्थानीय मृत्यु प्रदर्शित करते हैं / इस प्रकार श्रान्ति की अदृश्य प्रतिमूर्ति अब मृत्यु के विवर्ण के रूप में दिखने लगती है / इसी को तापलिख (Thermograph) कहते हैं / यही है ताप अभिलेख (Heat record) और मृत्यु-मानचित्र / क्या इसके सदृश कुछ और भी है जो प्रकृत-अवस्था में वनस्पति की प्रारम्भिक मृत्यु का मानचित्र बताये ? हम विशेष पत्तियों की चित्र-विचित्रता की ओर ध्यान दें; भारत के समुद्रशोष की पत्तियां गाढ़ी हरी होती हैं और उनमें सफेद धब्बे होते हैं। वस्तुतः ये धब्बे आने वाली मृत्यु के सूचक हैं और यदि हम इन पत्तियों का अवलोकन करते रहें, हम देखेंगे कि इन्हीं निश्चित स्थानों पर ऊतक वियोजित
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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