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________________ 10 वनस्पतियों के स्वलेख का निर्देश करता है, एक सेकेण्ड से कुछ ही अधिक में पूरा हो जाता है परन्तु इससे विमुक्ति में बारह मिनट तक का समय लग जाता है। चित्र 4 में लाजवन्ती की अनुक्रिया का अभिलेख है; यह हमारे ऊपर भी आघात के प्रभाव की संवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाता है। हमें अघात के कष्ट. / / / / / / / / / / / / / चित्र ४--लाजवन्ती के मुख्य पर्ण का अनुक्रिया-वक / अभिलेखे के नीचे की उदग्र रेखाएँ, प्रत्येक एक मिनट का अंतर बताती हैं। (a b), पर्ण का पतन; (bc) पुनरुन्नयन / की अनुभूति लगभग तत्काल ही होती है, किन्तु कष्ट के संवेदन को समाप्त होने में कुछ समय लगता है। लाजवन्ती के पूरी तरह स्वस्थ हो जाने के बाद हम फिर से उसे उसी तीव्रता के साथ आघात दें। यदि आस-पास की दशाएँ वैसी ही हों जैसी पहले थीं तो दूसरी अनुक्रिया भी वैसी ही होगी, और उसके बाद वाली भी सब वैसी ही होंगी (चित्र 5) / यदि पौधा किसी प्रकार से अवसाद-युक्त होगा तो अनुक्रिया में भी अवसाद चित्र ५--लाजवन्ती की क्रमिक समान अनुक्रियाओं तत्काल स्पष्ट हो जायगा। का अभिलेख।
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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