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________________ 152 . वनस्पतियों के स्वलेख मलय (Malaya) देशवासी फूली हुई शूकी को प्रायः एक सप्ताह तक काठ की मुंगरी से पीटते हैं, उसके बाद एक कटे हुए छिद्र से शक्कर-युक्त रस निकलता है। भारत में प्रचलित प्रणाली कदाचित् अधिक कोमल है। लम्बी छद-शूकी को अँगुलियों के बीच में रखकर ऊपर से नीचे की ओर गूंधा जाता है, ठीक उसी प्रकार जैसे गाय का दूध निकाला जाता है। यह दोहन-विधि एक सप्ताह तक प्रति दिन होती है। . इसके पश्चात् उसका अग्रभाग काटने पर काफी मात्रा में रस निकलता है / प्रारम्भ में मुंगरी से मारना 'सिर को टक्कर' के समान है और 'गूंधना' दूध निकालने के समान। ___ताड़ के पूर्व निष्क्रिय ऊतक से रस के स्त्राव के लिए जो प्रणाली काम में लायी जाती है, वह भी मूलतः इसी प्रकार की है। दोनों का ध्येय एक समान है, यानी उद्दीपना के प्रत्यावर्ती उपयोग द्वारा सुषुप्त सक्रियता को जाग्रत करना, जो लगातार काटने-मारने या लगातार गूंधने से भी हो सकता है। इस क्रिया द्वारा निष्क्रिय ऊतक-ग्रन्थि ऊतक के ही समान सक्रिय हो जाती है और इस प्रकार आन्तरिक दाब की अनुपस्थिति में भी रस का स्राव होता रहता है। '
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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