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________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक * 410 3. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति - इसमें जम्बूद्वीप का वर्णन है। इसके पदों की संख्या तीन लाख पच्चीस' हजार है। 4. द्वीपसागर प्रज्ञप्ति - इसमें सभी द्वीपों और सागरों का वर्णन है। इसके पदों की संख्या बावन लाख छत्तीस हजार है। 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति - इसमें रूपी, अरूपी आदि छह द्रव्यों का वर्णन है। इसके पदों की संख्या चौरासी लाख छत्तीस हजार है। (2) सूत्र - इसमें जीव के कर्तृत्व, भोक्तृत्व आदि की सिद्धि तथा भूतचैतन्यवाद का खण्डन है। इसके पदों की संख्या अठासी लाख है। (3) प्रथमानुयोग इसमें त्रेशठ शलाका महापुरुषों का वर्णन है। इसके पदों की संख्या पाँच हजार है। (4) पूर्वगत - इसके उत्पादपूर्व आदि चौदह भेद हैं - 1. उत्पादपूर्व - इसमें वस्तु के उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य का वर्णन है। इसके पदों की संख्या एक करोड़ है। 2. अग्रायणीपूर्व - इसमें अंगों के प्रधानभूत अर्थों का वर्णन है। इसके पदों की संख्या छ्यानवे लाख है। 3. वीर्यानुप्रवाद पूर्व - इसमें बलदेव, वासुदेव, चक्रवर्ती, इन्द्र, तीर्थंकर आदि के बल का वर्णन है। इसके पदों की संख्या सत्तर लाख है। 4. अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व - इसमें जीव आदि वस्तुओं के अस्तित्व और नास्तित्व का वर्णन है। इसके पदों की संख्या साठ लाख है। 5. ज्ञानप्रवाद पूर्व - इसमें आठ ज्ञान, उनकी उत्पत्ति के कारण और ज्ञानों के स्वामी का वर्णन है। इसके पदों की संख्या एक कम एक करोड़ है। 6. सत्यप्रवादपूर्व ___ - इसमें वर्ण, स्थान, दो इन्द्रिय आदि प्राणी और वचनगुप्ति के संस्कार का वर्णन है। इसके पदों की संख्या एक करोड़ और छह है। 7. आत्मप्रवादपूर्व - इसमें ज्ञानादि, आत्मकर्तृत्वादि स्वरूप का वर्णन है। इसके पदों की संख्या छब्बीस करोड़ है। 8. कर्मप्रवादपूर्व - इसमें कर्मों के बन्ध, उदय, उपशम, उदीरणा और निर्जरा का वर्णन है। इसके पदों की संख्या एक करोड़ अस्सी लाख है। 9. प्रत्याख्यानपूर्व - इसमें द्रव्य और पर्यायरूप प्रत्याख्यान का वर्णन है। इसके पदों की संख्या चौरासी लाख है। 10. विद्यानुप्रवाद - इसमें पाँच सौ महाविद्याओं, सात सौ क्षुद्रविद्याओं और अष्टांगमहानिमित्तों ___ का वर्णन है। इसके पदों की संख्या एक करोड़ दस लाख है। 11. कल्याणपूर्व - इसमें तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलभद्र, वासुदेव, इन्द्र आदि के पुण्य का वर्णन है। इसके पदों की संख्या छब्बीस करोड़ है।
SR No.004286
Book TitleTattvarthashloakvartikalankar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuparshvamati Mataji
PublisherSuparshvamati Mataji
Publication Year2010
Total Pages438
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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