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________________ आभार : पूज्य गणिनी आर्यिकाश्री सुपार्श्वमती माताजी ने अपनी अभीक्ष्ण ज्ञानाराधना और तप:साधना के फलस्वरूप ही इस कठिन ग्रन्थ का मूलानुगामी अनुवाद प्रस्तुत किया है और इसके सम्पादन-प्रकाशन कर्म से मुझे जोड़ कर मुझ पर जो अनुग्रह किया है, एतदर्थ मैं आपका चिर कृतज्ञ हूँ। मैं पूज्य माताजी के दीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना करता हुआ उनके श्रीचरणों में सविनय वन्दामि निवेदन करता हूँ। 'यथाशीघ्र प्रकाशन' की प्रेरक पूज्य आर्यिका गौरवमती माताजी के चरणों में सादर वन्दामि निवेदन करता हूँ। ___पं. मोतीचन्दजी कोठारी की तैयार की हुई पाण्डुलिपि से भी मूल संस्कृत पाठ का मिलान किया गया है। अत: उनका भी आभारी हूँ। हिन्दी भाष्यकार पं. माणिकचन्दजी कौन्देय न्यायाचार्य की वन्दनीय अभिनन्दनीय प्रतिभा को सादर नमन करता हूँ जिनकी भाषा टीका तत्त्वार्थ चिन्तामणि' से अनुवाद कार्य में व सारांश लिखने में बहुत सहायता मिली है। ग्रन्थ के प्रकाशक श्रीयुत गुलाबचन्दजी सुरेशकुमारजी पाटनी, गुवाहाटी को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। कम्प्यूटर कार्य के लिए निधि कम्प्यूटर्स के डॉ. क्षेमंकर पाटनी व उनके सहयोगियों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। शोभन मुद्रण के लिए हिन्दुस्तान प्रिंटिंग हाउस, जोधपुर को धन्यवाद देता हूँ। सम्यग्ज्ञान के इस महदनुष्ठान में यत्किंचित् सहयोग देने वाले सभी भव्यों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। सम्पादन-प्रकाशन कर्म में रही भूलों के लिए स्वाध्यायी पाठकों से क्षमाप्रार्थी हूँ। 31 मार्च, 2009 विनीत डॉ. चेतनप्रकाश पाटनी 卐卐卐
SR No.004285
Book TitleTattvarthashloakvartikalankar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuparshvamati Mataji
PublisherSuparshvamati Mataji
Publication Year2010
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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