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________________ विपाकविचय धर्म्यध्यान है।' कर्मफल विषयक यह चिन्तन आत्मा के शुद्ध स्वरूप का उब्दोधक है। चिन्तन की अनवरतता मन में एक ऐसी विवेक ज्योति जाग्रत करती है, जिससे कर्मावृत्त आत्मा और शुद्ध आत्मा का भेद अनुभूति का विषय बनने लगता है। जिससे आत्मपराक्रम जाग्रत होता है। परिणामस्वरूप साधक की गति अपनी मंजिल की दिशा में अनुकूल और सत्वर होती है। 4. संस्थानविचय धर्म्यध्यान - 'संस्थान' का अभिप्राय आकार से है। इस ध्यान में ऊर्ध्व, मध्य और अधोलोक का चिन्तन किया जाता है। इन तीनों लोकों का संस्थान, प्रमाण और इनमें रहने वाले जीवाजीव पदार्थो का आकार, आसन, भेद, मान, आयु आदि का चिन्तन संस्थानविचय धर्म्यध्यान है। यह लोक क्रमश: वेत्रासन, झल्लरी और मृदंग के समान आकाररूप उर्ध्व मध्यम और अधोलोक के भेद से विभाजित है। इनका विचार करना संस्थानविचय धर्म्यध्यान सामान्यतया सभी आचार्यों ने उपर्युक्त विचारात्मक ही संस्थानविचय धर्म्यध्यान का लक्षण निर्धारित किया है। किन्तु शास्त्रसारसमुच्चय के अनुसार "अनित्यादि बारह भावनाओं का विचार करना भी संस्थानविचय धर्म्यध्यान है।'' यद्यपि यह कोई एकमेव : मत नहीं है अपितु इस मत का समर्थन भी अनेक ग्रन्थों से होता है। कारण, इस प्रकार का चिन्तन करने से साधक को अनित्यादि पर्यायों की यथार्थता अवभासित होने पर वैराग्य की भावना प्रशस्त एवं सुदृढ़ होती है। ज्ञानार्णव के कर्ता आचार्य शुभचन्द्र ने संस्थानविचय धर्म्यध्यान को स्पष्ट करने हेतु लोक का विस्तार के साथ वर्णन किया, जिसे वहाँ से ही देख लेना चाहिए। उसमें किञ्चित् निदर्शनार्थ ही यहाँ प्रस्तुत है - 'अविद्या, अज्ञानपूर्ण चित्त से विषयों में अंधा बनते हुए मैंने चराचर, चलनशील स्थितिशील प्राणियों की हत्याएं की। दूसरों का धन हरने में, आमिष भोजन में, परस्त्री में आसक्ति में, अनेक व्यसनों में और उत्पीड़न में रौद्रध्यान पूर्ण समय व्यतीत किया। उसी का अब यह फल है कि अनन्त यातनामय नरक रूपी समुद्र में पैदा हुआ हूँ।'5 1. प्राकृतपंचसंग्रह, 4/487. 2. तिलोयपण्णत्ती, 1/137-8. 3. शास्त्रसारसमुच्चय, पृ. 288. 4. ज्ञानार्णव, 36/3-185. 5. वही, 36/34-6 154
SR No.004283
Book TitleBhartiya Yog Parampara aur Gnanarnav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendra Jain
PublisherDigambar Jain Trishala Mahila Mandal
Publication Year2004
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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