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________________ 164 : डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय सुहमकिरिएण झाणेण निरूद्ध सुहमकायजोगे वि / सेलेसी होइ तओ अबंधओ निच्चलपएसो / / / ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 944) सहमकिरिएण झाणेण णिरुद्धे सहमकायजोगेऽवि / सेलेसिं होदि तदो अबंधवो णिच्चलपदेसो / / (भगवती आराधना, गाथा 2116 ) सो तेण पंचमत्ताकालेण खवेइ चरिमझाणेण / अणुइण्णाओ दुचरिमसमए सव्वाओ पयडीओ || . . ( आराहणापडाया ( वीरभद्दायरियविरइया), गाथा 946) . सो तेण पंचमत्ताकालेण खवेदि चरिमझाणेण / अणुदिण्णाऊ दुचरिमसमए सव्वाइ पयडीऊ || (भगवती आराधना, गाथा 2120) पाणिवह मुसावायं अदत्त मेहुण परिग्गहं थूलं / .. जावज्जीवं दुविहा गिण्हामि अणुव्वए. पंच / / . (पज्जंताराहणा पइण्णयं, गाथा 19) पाणिवह मुसावादं अदत्त मेहुण परिग्गहं चेव / कोहमदमायालोहा भय अरदि रदी दुगुंछा य || (मूलाचार, गाथा 1/288) * प्रवक्ता पार्श्वनाथ विद्यापीठ आई० टी० आई० रोड़ वाराणसी - 5
SR No.004282
Book TitlePrakirnak Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1995
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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