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________________ 3. मानव का स्वरूप : पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों मानव को आर्थिक प्राणी मानते हैं। अहिंसा का अर्थशास्त्र मानव को महज आर्थिक प्राणी नहीं मानता, अपितु उसे शरीर, बुद्धि, मन और आत्मा की अनन्त सम्भावनाओं की इकाई मानता है। 4. जीवन शैली : पूंजीवाद में विलासिता का जीवन है और साम्यवाद में यन्त्रवत् जीवन; जबकि अहिंसा के अर्थशास्त्र में नैसर्गिक, आध्यात्मिक और मानवीय जीवन है। 5. गतिविधियाँ और नियन्त्रण : पूंजीवाद में असीमित आजादी है और साम्यवाद में राज्य सभी स्वतन्त्रताओं को छीन लेना चाहता है। जबकि अहिंसा के अर्थशास्त्र में आत्मानुशासन है, इसलिए सहज स्वतन्त्रता है। 6. सम्पत्ति स्वामित्व : पूंजीवाद में असीमित स्वामित्व है और साम्यवाद में व्यक्तिगत स्वामित्व का अभाव है। अहिंसा के अर्थशास्त्र में आवश्यक स्वामित्व स्वीकार्य है। अपरिग्रह अथवा न्यास-सिद्धान्त स्वामित्व को नियमित करता है। . 7. कार्य-प्रणाली : पूंजीवाद शोषण पर आधारित है और साम्यवाद में राज्य व्यक्ति की योग्यताओं का धीमा/अदृश्य शोषण करता है। अहिंसा का अर्थशास्त्र संयम और त्याग पर अवस्थित है। .. 8. प्रकृति : पूंजीवाद में व्यक्तिवाद है और साम्यवाद में राज्य का अवांछनीय नियन्त्रण; जबकि अहिंसा के अर्थशास्त्र में सह-अस्तित्व और सामाजिकता की भावना है। 9. ढंग : पूंजीवाद में अनावश्यक स्पर्धा और होड़ा-होड़ी है और साम्यवाद में राज्य की शक्ति का कठोर अंकुश है। अहिंसा के अर्थशास्त्र में सहकारिता है। 10. शासन : पूंजीवाद में बहुदलीय प्रजाजन्त्र और साम्यवाद में एकतन्त्रवाद है। अहिंसा के अर्थशास्त्र में कर्तव्य आधारित शासन है। 11. श्रम का फल : पूंजीवाद में पूंजीपति अधिकांश हड़प जाते हैं और साम्यवाद में राज्य सर्वशक्तिमान होता है। अहिंसा का अर्थशास्त्र सामाजिकता की भावना और सम-वितरण पर आधारित है। (356)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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