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________________ परिच्छेद पाँच तुलनात्मक विचार साधन-साध्य की शुचिता ___आगम का अर्थतन्त्र अहिंसा का अर्थतन्त्र है। वह संयम से अनुप्राणित और अनेकान्त से अनुवेष्टित है। अपरिग्रह उसकी आधारशिला है। वह इतना मानवीय है कि मानव तो क्या, मानवेत्तर प्राणियों के प्रति भी उसकी पूरी संवेदना है। समाजशास्त्र की भाँति अर्थशास्त्र की मुख्य इकाई व्यक्ति है, जिसे आधुनिक अर्थशास्त्र में उपभोक्ता नाम दिया गया है। आगमिक अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा तथ्य व्यक्ति का परिष्कार और साधन-शुद्धि है। व्यक्ति के अन्तर्गत उत्पादक, व्यापारी और उपभोक्ता तीनों आ जाते हैं। उत्पादक और व्यापारी भी उपभोक्ता होते हैं। परन्तु उत्पादक और व्यापारी अथवा वितरक के रूप में उनकी प्रामाणिक भूमिका की अपेक्षा रहती है। इसलिए व्यक्ति शुद्धि के साथ साधन-शुद्धि स्वतः जुड़ी हुई है। उत्पादन के सम्बन्ध में भ. महावीर के तीन सूत्र महत्वपूर्ण हैं' - . 1. अहिंसप्पयाणे : हिंसक शस्त्रों का निर्माण नहीं करना, 2. असंजुत्ताहिकरणे : हथियारों का संयोजन नहीं करना, और 3. अपावकम्मोवदेसे : पापकर्म की, हिंसा की शिक्षा नहीं देना। हथियार भय और हिंसा के अर्थतन्त्र का यार होता है। विश्व में प्रति मिनिट 8 करोड़ 40 लाख रुपये हथियारों के उत्पादन पर यानि हिंसा पर खर्च किये जा रहे हैं। हिंसा पर हो रहे खर्च को विकास के सन्दर्भो में देखें तो चौंकाने वाले तथ्य हमारे सामने होंगे - * विश्व के सभी देश एक दिन में अपनी फौजों पर जितना खर्च करते हैं, उतने के उपयोग से धरती को पूरी तरह मलेरिया-मुक्त किया जा सकता है। * यदि एक टेंक न बनाया जाय तो उससे होने वाली बचत से 8 दिन तक एक . लाख लोगों का पेट भरा जा सकता है। * एक टेंक की कीमत से 30 हजार बच्चों के लिए 500 विद्यालय खोले जा सकते हैं। (351)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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