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________________ पूंजीवाद संसार में बढ़ रहा है। ये धनी देश दुनिया के निर्धन देशों को लोकतन्त्र, मानवाधिकार, रोग-मुक्ति और विकास के नाम पर आर्थिक मदद भी देते हैं। परन्तु वह ऊँट के मुँह में जीरा वाली स्थिति ही है। उदाहरण के तौर पर वर्तमान में अमेरिका करीब 450 बिलियन डॉलर अपने सैन्य-प्रबन्धन और हथियारों पर खर्च करता है; जबकि 15 बिलियन डॉलर से भी कम वह गरीब देशों के 'विकास', पर्यावरण आदि पर खर्च करता है, जो उसके कुल सैन्य खर्च का 3.33 प्रतिशत से भी कम होता है। यहाँ एक बात गौरतलब है कि अमीर वर्गों व देशों द्वारा निर्धनों की चिन्ता भी सम्भवतः इसलिए की जाती है कि कहीं वह गरीबी कोई भयानक अनियन्त्रित रूप धारण करके उनके वैभव-विलास को नुकसान नहीं पहुँचा दे। यही बात पर्यावरण और अन्य समस्याओं के सम्बन्ध में समझनी चाहिये। यह दृष्टिकोण स्वार्थपरक होने से अहिंसा, समता, सह-अस्तित्व और सृष्टि की एकात्मता जैसे नियमों के अनुकूल नहीं हो पाता है और दुनिया वांछित परिणामों से वंचित रह जाती है। ___ परमाणु अस्त्रों की विकिरणों से स्वास्थ्य और पर्यावरण का भारी नुकसान होता है। छोटे-से ग्रह धरती पर कोई दो-चार देश, कुछ समुदाय या कुछ व्यक्ति ही रहे, यह विचार मूलतः सही नहीं है और वैसा सम्भव भी नहीं है। सह-अस्तित्त्व के बगैर दुनिया को बचाना नामुमकिन है। दुनिया परमाणु अस्त्रों से या उनके भय से नहीं, अपितु शुद्ध पर्यावरण, समता, अभय और अहिंसा की दिशा में किये जाने वाले ईमानदार प्रयासों से बचाई जा सकेगी। परमाणु अप्रसार सन्धि जैसे वैश्विक नियम अहिंसा की महत्ता को उजागर करते हैं। विश्व राजनीति में भारत की ओर से पंचशील की उद्घोषणा में भी अहिंसा के स्वर हैं। जून 1954 में निम्न पंचशीलों की घोषणा की गई27 - 1. एक दूसरे राष्ट्र की प्रादेशिक अखण्डता और सार्वभौमिकता का सम्मान। 2. पारस्परिक अनाक्रमण। 3. एक दूसरे राष्ट्र के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना। 4. एक दूसरे की समानता को मान्यता देना और परस्पर लाभ पहुँचाना। 5. शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति को अपनाना। इन पंचशीलों में भगवान महावीर और भगवान बद्ध के उपदेशों का प्रभाव दषष्टगोचर होता है। आवश्यकता है नियमों के निष्ठापूर्वक अनुपालन की। दुनिया की भलाई (347)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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