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________________ परिच्छेद चार आधुनिक अर्थव्यवस्था - मानव जाति के ज्ञात इतिहास में भौतिक जीवन सम्बन्धी सबसे अधिक क्रान्तिकारी परिवर्तन बीसवीं शताब्दी में हुए। हालांकि, इन परिवर्तनों की शुरुआत विभिन्न यन्त्रों व मशीनों के आविष्कारों के साथ उन्नीसवीं शताब्दी में हो चुकी थी। इस दौर में तीन बड़ी घटनाएँ हुई - औद्योगिक विकास, वैज्ञानिक-तकनीकी उन्नति और लोकतन्त्रीय शासन व्यवस्था। विज्ञान और उद्योग साथ-साथ चले। विज्ञान की मदद से उद्योगों का आधुनिकीकरण हुआ और इससे विज्ञान का व्यावसायीकरण हुआ। विज्ञान और वाणिज्य की दोस्ती से संसार में पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएँ स्थापित होने लगी। पूंजीवाद की ताकत को देखते हुए राज सत्ताओं ने भी इस व्यवस्था को प्रश्रय देने में अपना भला समझा। पूंजीवाद सत्ता को साथ लेकर साम्राज्यवाद की ओर बढ़ा और संसार के निर्धन देशों और राजसत्ताओं में व्यापार के बहाने राजनीतिक उपनिवेश बनाने लगा। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप विश्व में समाजवाद और लोकतन्त्र के स्वर गूंजने लगे। पूंजीवाद ___पूंजी धनोपार्जन का एक साधन है। मानव की असीम तृष्णा और अतिसंग्रह की वृत्ति से सम्पत्ति और सत्ता का कुछ लोगों के हाथों में केन्द्रीयकरण पंजीवाद है। 19वीं सदी में औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप आधुनिक पूंजीवाद जन्म ले चुका था। पूंजीवाद के फलस्वरूप शोषण, सामाजिक-आर्थिक विषमता, साम्राज्यवाद आदि बुराइयों ने अपने पाँव पसारे। निजी स्वामित्व, निजी लाभ, उत्तराधिकार, उद्यम की स्वतन्त्रता आदि इस व्यवस्था की विशेषताएँ होती है। वर्तमान में जो पूंजीवाद दिखाई पड़ता है, वह उसके सैद्धान्तिक रूप से काफी भिन्न है। बढ़ता उपभोक्तावाद और बाजारवाद इसी व्यवस्था के नये नाम हैं। यह अर्थशास्त्री केनिज के इस विचार का समर्थन करता है कि भौतिक सम्पन्नता के विकास में अहिंसा आदि नैतिक मूल्यों का कोई स्थान नहीं है। पूंजीवादी समाज में कला, साहित्य, मानवीय मूल्य (Values) और सम्बन्ध, सभी का अन्तिम मूल्य (Price) बाजारू मूल्य बन जाता है, जिसमें महत्व इस बात का नहीं कि किसी कलाकार और साहित्यकार ने कितनी गहरी अनुभूति या मानवीय सत्य को सफल (334)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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