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________________ सन्दर्भ 1. जैन, सागरमल (डॉ.) - जैन, बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का .. तुलनात्मक अध्ययन, भाग 2 पृ. 114 भाव पाहुड 132, समणसुत्तं गाथा 140 3. आचारांग सूत्र 1/2/5 4. परिग्गहनिविट्ठाणं, वेरं तेसिं पवड्डई - सूत्रकृतांग 1/2/3 5. प्रश्नव्याकरण 1/5 6. अत्थो मूलं अणत्थाणं - मरणसमाधि 603 7. दशवैकालिक सूत्र 6/21, तत्वार्थ सूत्र 7/17, समणसुत्तं 142 8. समयसार 207 9. उत्तराध्ययन 5/4, सूयगहो 1, 1/1/2, समणसुत्तं 141 10. भार्गव, दयानन्द (डॉ.) 'अपरिग्रह की आधुनिक सन्दर्भ में प्रासंगिकता' प.-2. सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि भगवान महावीर ने पार्श्वनाथ के चातुर्याम में ब्रह्मचर्य जोड़ा। 11. जैन, सागरमल (डॉ.) - जैन, बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन - पृ.-235 . 12. प्रश्नव्यकरण सूत्र 1/3/10 13. दशवैकालिक सूत्र 6/14 14. गांधी, महात्मा, अपरिग्रह विचार' जिनवाणी अपरिग्रह विशेषांक पृ.-123 15. गांधी, महात्मा 'मंगल प्रभात' पुस्तक से। 16. संत विनोबा, 'सर्वोदय' दिसम्बर - 1952 17. उत्तराध्ययन सूत्र 10वाँ अध्ययन 18. आचारांग 1/1/4/35 19. आचारांग 1/3/4 (314)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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