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________________ __ अर्थशास्त्री डॉ. मार्शल ने उत्पादक-श्रम की अपनी अवधारणा से वैश्यावृत्ति या देह-व्यापार को बाहर निकाल दिया था। प्रो. सैलिगमैन ने भी कहा था कि सच्ची आर्थिक-क्रिया परिणामतः सादाचारिक होनी चाहिये।" ब्रह्मचर्य व्रत के खण्डन से अर्थात् वैवाहिक सीमा के उल्लंघन से सारा संसार एड्स नामक जानलेवा महामारी से जूझ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार संसार में प्रतिदिन करीब 6000 लोग एड्स से जान गँवा देते हैं और करीब 8200 लोग इस जानलेवा रोग से संक्रमित हो जाते हैं। इसके अलावा कृत्रिम उपायों से आबादी-नियन्त्रण के अन्तर्गत मानव-स्वास्थ्य (विशेषतः स्त्रीस्वास्थ्य) के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कमजोर स्वास्थ्य की वजह से विश्व में प्रति मिनट एक महिला प्रसव के दौरान मर जाती है। इन बीमारियों से बचने और बचाने के लिए अपार धन खर्च किया जा रहा है। एड्स और अन्य रोगों से बचने का सर्वाधिक निरापदं उपाय आत्म-संयम है। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के महानायक महात्मा गांधी भी जनसंख्या-नियन्त्रण के लिए आत्म-संयम के अभ्यास और विकास की सलाह देते हैं। वस्तुतः आत्म-संयम से जनसंख्या पर ही नियन्त्रण नहीं होता, अपितु अनेक प्रकार की समस्याओं पर भी नियन्त्रण होता है। सच है - 'अणेगा गुणा अहीणा भवति एक्कंमि बंभचेरे' - एक ब्रह्मचर्य की साधना से अनेक गुणों का संचार होता है। - संयम के संकल्प, अभ्यास और विकास के लिए जैन आगम ग्रन्थ प्रत्याख्यान का विधान करते हैं। प्रत्याख्यान का अर्थ है - प्रतिज्ञा। व्यक्ति एकाएक त्याग व संयम के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता है तथा सबकी क्षमता व रुचि भी समान नहीं होती है। वस्तुओं की मात्रा तथा उनका उपयोग करने की अवधि की मर्यादा करना एक विवेकशील और दृढ़ मनोबल वाले व्यक्ति का काम है। आर्थिक जगत् में व्यक्ति यदि प्रामाणिकता का संकल्प करता है, विलासितारहित और सादगी का संकल्प करता है, तो वैसा संकल्प व्यक्ति और देश दोनों के लिए लाभदायक है। इस प्रकार संयम, आत्म-संयम और मर्यादा से आर्थिक व्यवस्थाएँ मजबूत होती हैं। (299)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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