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________________ सन्दर्भ 1. कल्पसूत्र, सामायिक सूत्र - नमोत्थुणं का पाठ 2. आचारांग सूत्र 2/23, गाथा 112-113, आवश्यक नियुक्ति गाथा 239 3. आवश्यक नियुक्ति गाथा 242 4. आयारो 2/15/360-361 5. कल्पसूत्र 111 ज्ञाताधर्मकथांग 1/8/76 7. विनय विजय (आचार्य), शान्तसुधारस भावना। 8. महावीर चरियं 514, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित 10/3/7 / 9. सप्ततिशतस्थान प्रकरण गाथा-96 एवं त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित 1/1/152 10. गहस्थानामाहारदानादिकमेव परमो धर्मः - परमात्मप्रकाश टीका 2/111 11. समणं माहणं कृकृ पडिलाभेमाणे विहरई 12. 'अनुग्रहार्थं स्वस्यातिसर्गो दानम्' - तत्वार्थ सूत्र 6/12 13. 'स्वपरोपकारोऽनुग्रहः' - तत्वार्थराजवार्तिक श्लोकवार्तिक, उपासकाध्ययन 766 14. आचारांग 1/8/3 15. 'महावीर मिशन' (दिल्ली), अगस्त 2002 16. स्थानांग सूत्र 10/475 17. स्थानांग टीका 9 18. पुष्कर मुनि, उपाध्याय, जैन धर्म में दान एक समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. 303 19. 'जे आया से विन्नाया, जे विन्नाया से आया' - आचारांग 1/5/5/104 20. सूत्रकृतांग सूत्र, छठवाँ अध्ययन 21. पुष्कर मुनि, उपाध्याय, जैन धर्म में दान एक समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. 22 (224)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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