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________________ 2. रहस्य अभ्याख्यान : जीवन में गोपनीयता का अपना स्थान होता है। जिम्मेदार व्यक्ति को गोपनीयता की शपथ भी दिलाई जाती है। व्यवसाय में भी गोपनीयता का महत्व होता है। किसी की गोपनीय बात को प्रकट करने से उसकी प्रतिष्ठा पर आँच आती है और अर्थिक हितों को धक्का लगता है। कभी-कभी तो किसी बात का रहस्योद्घटन या पटाक्षेप होने पर बवाल मच जाता है। इसलिए समझदार व्यक्ति कभी किसी की अप्रकटनीय बात को प्रकट नहीं करता है। 3. मन्त्र-भेद : इस अतिचार का सम्बन्ध मुख्यतः दाम्पत्य और पारिवारिक जीवन सम्बन्धी गोपनीय बातों के प्रकटीकरण से है। सद्गृहस्थ को चाहिये कि कैसी भी स्थिति में ऐसी बाते प्रकट नहीं करें, जिससे किसी के मर्म को, हृदय को चोट पहुँचे अथवा वैसी बात से कलह उत्पन्न हो जाय। 4. मृषोपदेश : मृषावाद के त्यागी को कभी किसी को गलत राय नहीं देनी चाहिये। पेशेवर जगत में सलाह का अत्यधिक महत्व है। गलत सलाह भ्रम और हानि पैदा करती है। 5. कूटलेखकरण : आचार्य अभयदेव ने जाली दस्तावेज बनाने, झूठी मुद्राएँ बनाने और जाली हस्ताक्षर करने को कूटलेखकरण अतिचार माना है।' आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए इस अतिचार के निषेध का बहुत महत्व है। दुर्भावना से कार्य करने वाले के लिए अतिचार अनाचार बन जाता है। व्यापार में विश्वास की परम्परा को स्थापित करने के लिए मृषावाद विरमण व्रत एक 'व्यापार-मन्त्र' की तरह है। जिसका अनुपालन व्यापार और व्यापारियों के लिए वरदान है। 3. अस्तेय ___ श्रावक प्रतिज्ञा करता है कि वह यावज्जीवन मन, वचन और कर्म से न तो स्थूल चोरी करेगा, न करवायेगा। प्रतिक्रमण-सूत्र में पाँच प्रकार की स्थूल चोरियाँ बताई गई है - 1. खात खनना यानि सेंध लगाकर वस्तुएँ ले जाना। 2. गांठ खोलकर या जेब काट कर चोरी करना। 3. ताला तोड़कर या दूसरी चाबी से चोरी करना। (180)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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