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________________ 22. ज्ञाताधर्मकथांग 17/3 23. आचारांग सूत्र 2/5/1/152 24. जैन, जगदीशचन्द्र (डॉ.) जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ.-145 25. आचारांग सूत्र 1/9/2/2 26. व्याख्याप्रज्ञप्ति 16/9/7 27. प्रश्नव्याकरण 3/5 28. जैकोबी, हर्मन, सैक्रेड बुक्स ऑफ दि ईस्ट, भाग 45वाँ, पृ.-276 29. ज्ञाताधर्मकथांग 1/25 . 30. वही, 8वाँ अध्ययन 31. उपासकदशांग 1/34 32. औपपातिक सूत्र 41 33. उपासकदशांग 7वाँ अध्ययन 34. वही एवं अनुयोगद्वार सूत्र 132 35. निशीथ भाष्य 10.3228 ॐ. उपासकदशांग 7वाँ अध्ययन 37. बहत्कल्पभाष्य 4.3445 38. जैन, जगदीशचन्द्र (डॉ.) जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ.-147 39. वही, प.-148 40.. प्रश्नव्याकरण 1/14 41. बहत्कल्पभाष्य 3.2716 42. प्रश्नव्याकरणं 1/18 * 43. निउणोविय मिसिमिसिंत-मणि-रयण-मंडियाओ पाउयाओ - कल्पसूत्र 1.15 . 44. अनुयोगद्वार 1/66 (141)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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