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________________ 222222222222222222222222222222222222222222322 - -aaaaaaa श्रीआवश्यकनियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) PRODomme (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) तत्र नाम पूर्व निरूपितम्, नाम च तदवधिध नामावधिः, यस्थावधिरिति >> नाम क्रियते, यथा मर्यादायाः।तथा स्थापना चासाववधिश्च स्थापनावधिः, अक्षादिविन्यासः। अथवा अवधिरेव च यदभिधानं वचनपर्यायःसनामावधिः स्थापनावधिर्यः खलु आकारविशेषः / तत्तद्व्यक्षेत्रस्वामिनामिति।तथा द्रव्येऽवधिव्यावधिः, द्रव्यालम्बन इत्यर्थः। अथवाऽयम् / एकारान्तः शब्दः प्रथमान्त इतिकृत्वा द्रव्यमेवावधिव्यावधिः, भावाधिकारणं द्रव्यमित्यर्थः।। a यद्वोत्पद्यमानस्योपकारकं शरीरादि, तदवधिकारणत्वाद् द्रव्यावधिः।तथा क्षेत्रेऽवधिः क्षेत्रावधिः, a अथवा यत्र क्षेत्रेऽवधिरुत्पद्यते तदेवावधेः कारणत्वात् क्षेत्रावधिः प्रतिपाद्यते वा तथा कालेऽवधिः, कालावधिः अथवा यस्मिन् काले अवधिरुत्पद्यते कथ्यते वा स कालावधिः। भवनं भवः, सच , * बारकादिलक्षणः, तस्मिन् भवेऽवधिर्भवावधिः।भावः बायोपशमिकादिः द्रव्यपर्यायो वा, , तस्मिन्नवधिःभावावधिः चशब्दौसमुच्चयार्थो। एषः' अनन्तरव्यावर्णितः खलुशब्दः एक्कारार्थः, बस चावधारणे, एष एव, नान्यः।निक्षेपणं निक्षेपः, अवधेर्भवति सप्तविधः सप्तप्रकार इति गाथार्थR९॥ a (वृत्ति-हिन्दी-) 'अवधि' यह नाम पहले बता दिया है, नाम जो अवधि, वह 'नामावधि' है। किसी का नाम, जैसे 'मर्यादा' का नाम अवधि रख दिया जाता है तो वह 'नामावधि' है। और स्थापना रूप अवधि है- 'अक्ष' (चौसर के पासों) आदि में विन्यास (किसी पदार्थ के क सद्भाव का आरोप) किया जाना / अथवा 'अवधि' यह जो वचन-पर्याय रूप कथन है, वह a 'नाम-अवधि' है और जो द्रव्यावधि या क्षेत्रावधि के स्वामियों का आकार-विशेष स्थापित किया जाय वह स्थापना-अवधि है। द्रव्य-विषयक अर्थात् द्रव्य-आधारित अवधि 'द्रव्य अवधि' है। अथवा 'दविए' यह एकारान्त प्रथमान्त (द्रव्यम्) पद है, ऐसा मान कर द्रव्य ही जो अवधि, वह 'द्रव्यावधि' है, अर्थात् जो भाव-अवधि का कारणभूत द्रव्य है, या उत्पन्न होने वाले अवधिज्ञान का उपकारक शरीर आदि है, वह अवधि का कारण होने से 'द्रव्यावधि' है। " * इसी तरह क्षेत्र-विषयक अवधि क्षेत्रावधि' है, अथवा जिस क्षेत्र में अवधिज्ञान उत्पन्न होता है - है, वह क्षेत्र अवधिज्ञान का कारण होने से क्षेत्रावधि' है या उस रूप क्षेत्रावधि में प्रतिपादित . होता है। इसी तरह काल-विषयक अवधि (ही) कालावधि है, या जिस समय में अवधिज्ञान , * उत्पन्न होता है या कहा जाता है, वह कालावधि है। भव यानी होना, जैसे 'नारक' आदि होना, उस भव से सम्बन्धित जो अवधिज्ञान है, वह 'भवावधि' है।भाव यानी क्षायोपशमिकादि - 180 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)
SR No.004277
Book TitleAvashyak Niryukti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumanmuni, Damodar Shastri
PublisherSohanlal Acharya Jain Granth Prakashan
Publication Year2010
Total Pages350
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size10 MB
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