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________________ - -333333333333333333333333333333333333333333333 -acaca cace cece श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 000 0000 इतना ही नहीं, एकप्रदेशी परमाणु को भी अनेक वाचक शब्दों द्वारा अभिहित किया जा & सकता है, जैसे- परमाणु निरंश, अवयवरहित है, प्रदेशरहित है, अविभागी है, आदि-आदि। इसीलिए " a आगम में कहा गया है कि वस्तु के अनन्त पर्याय और उनके परिच्छेद (ज्ञान) भी अनन्त हैं। इस प्रकार, श्रुत ज्ञान की प्रकृति (भेदों) में उक्त सारी अनन्तरूपता समाहित है जिससे परिचित होना श्रुतज्ञान को समझने की दृष्टि से अपेक्षित है- यह नियुक्तिकार का अभिप्राय है। a (हरिभद्रीय वृत्तिः) इदानीं सामान्यतयोपदर्शितानाम् अनन्तानां श्रुतज्ञानप्रकृतीनां यथावद्भेदेन प्रतिपादनसामर्थ्यम् आत्मनः खलु अपश्यन्नाह (नियुक्तिः) कत्तो मे वण्णे, सत्ती सुयणाणसव्वपयडीओ?। चउदसविहनिक्खेवं, सुयनाणे आवि वोच्छामि // 18 // [संस्कृतच्छायाः-कुतो मे वर्णयितुं शक्ति श्रुतज्ञानसर्वप्रकृतीः।चतुर्दशविधनिक्षेपं श्रुतनाने चापि वक्ष्ये // (वृत्ति-हिन्दी-) अब सामान्यतया प्रदर्शित श्रुतज्ञान की अनन्त प्रकृतियों के सभी भेदों को प्रतिपादित करने की अपनी सामर्थ्य को जानते-समझते हुए आचार्य कह रहे हैं (18) (नियुक्ति-अर्थ-) श्रुतज्ञान की समस्त प्रकृतियों को वर्णित करने की शक्ति मेरी कहां ca है? (अतः) श्रुतज्ञान से सम्बन्धित चौदह प्रकार के निक्षेपों का निरूपण करूंगा। ca (हरिभद्रीय वृत्तिः) ___(व्याख्या-) कुतः?, नैव प्रतिपादयितुम्, 'मे' मम 'वर्णयितुं' प्रतिपादयितुं 'शक्तिः' - & सामर्थ्यम्।काः? -प्रकृतीः।तत्र प्रकृतयो भेदाः, सर्वाश्च ताः प्रकृतयश्च सर्वप्रकृतयः, श्रुतज्ञानस्य >> & सर्वप्रकृतयः श्रुतज्ञानसर्वप्रकृतय इति समासः।ताः कुतो मे वर्णयितुं शक्तिः? (वृत्ति-हिन्दी-) (कुतः मे वर्णयितुं शक्तिः) अर्थात् वर्णन करने की मेरी शक्ति कहां - & है? किसे वर्णन करने की? (श्रुतज्ञानसर्वप्रकृतीः) प्रकृति यानी भेद / श्रुतज्ञान' तथा 'सर्वप्रकृति' , & -इनका (षष्ठी तत्पुरुष) समास है, अर्थात् श्रुतज्ञान की समस्त प्रकृतियों के (निरूपण करने से की)। 88888888888888888888888888888888888888888888 / - 146 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)
SR No.004277
Book TitleAvashyak Niryukti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumanmuni, Damodar Shastri
PublisherSohanlal Acharya Jain Granth Prakashan
Publication Year2010
Total Pages350
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size10 MB
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