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________________ (34) वैद्यवल्लम / भाषाटीका // भीम जायफल जावित्री इनको समान भागलै नागरपानके रसमें मर्दन करे दोपहर ताकी गुटिका उत्तम करनी // 24 // सुगन्ध मिश्रित करनी इलायची वजके संग देनी तापें दूध प्यानौ दो अच्छीतरें रविमें दशस्त्रीनके मानको निश्चय मारे // 25 // अथ मूत्रविकारे उपचारः // भंगराजं विलाः कृष्णाः प्रतिवासजलेनच / / दिनानि सप्त कुर्वाणो न मूत्रं पतते बहु // 26 // भाषाटीका // भांगरो काले तिल पटवास इनको समान भाग ले पानी के संग घोट सातदिन पीयो करवेसों बारबार मूत्रको आयवो बन्दहोई // 26 // अथेन्द्रियोत्पन्नरोगे उपचारः॥ ससितंमृतनागन्तु योभजे दिनसप्तकम् // तस्य सर्वेन्द्रियोत्पन्न रोगजालं ध्रुवं हरेत् // 27 // भाषाटीका // मिश्रीके संग नागेश्वर याकों खाय सात दिन ताकी सर्वलिंगकी रोगजालको निश्चै हरे // 27 // अथ नागभस्मविधिः॥ पूर्व संशोध्यनागन्तु सूर्यमूलेन मर्दयेत् // यामत्रिके भवेद्भस्म सितयासही दापयेत् // 28 // नागं मृतं हरति पित्तसमीरणार्ति शुक्रस्यदोषशमनं गतकामवृद्धिम् // दाहप्रलापशमनं रुचि- :
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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