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________________ (22) वैद्यवल्लभ। श्वास कास मिटै ऐसेही महतमें सोंठ मिरच पीपलको चूर्ण गेर चाटवेसो श्वास कफ दूर होय // 10 // पुनः॥ वल्लयुग्मं स्नुहीदुग्धं गुडयुक्तेन सेवनात् // कासश्वासं क्षयीरोग हृद्रोगंच प्रणाशयेत् // 11 // भाषाटीका॥ मिरच दोनों थूहरनको दूध गुडके संग सेवन करवेसों कास श्वाप्त क्षयी रोग हृदयरोगको नाशकरे११॥ पुनः॥ वासारसयुतं क्षौद्र यो भजेदिनसप्तकम् // तस्य धातुक्षयं श्वासकासरोगं विनश्यति // 12 // भाषाटीका // अडूसेके रसमें सहत गेर सातदिन खायवेसों धातुक्षय श्वास कासरोगको नाशकरै // 12 // पुनः॥ वचाश्वगंधापामार्गतुलसीसर्षपैः समम् // चूर्ण क्षयविनाशाय कारित कविना नृणाम् // 13 // भाषाटीका // वच, असगंध, औंगा, तुलसी, सरसों ये बराबर ले चूर्णकर खाय तौ खईको नाश होइ ऐसे हस्तिकवि कहै है // 13 // पुनः॥ अश्वगंधामृताभीरुदशमूलबलावृषा // पुष्करातिविषाक्काथःक्षयकासविनाशकृत् // 14 //
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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