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________________ 88888880 जीव विचार प्रकरण MBBSITE तिरछे टुकडे होते हैं जब कि झार (साधारण वनस्पतिकाय) के पत्ते को तोडने से समान टुकडे होते हैं। (3) जिसके तंतु न हो / ग्वार के तंतु व्यवस्थित दिखाई देते हैं जब कि शकरकंद के तंतु दिखाई नहीं देते हैं। (4) जिसका कोई भी भाग बोने पर भी उगे / साधारण वनस्पतिकाय छह प्रकार से उगती हैं(१) अग्रबीज- जिसका अग्र भाग बोने पर उगता है, जैसे कोरंट, नागरवेल आदि। (2) मूल बीज - जिनका मूल भाग बोने पर उगता है, जैसे उत्पल, कंद आदि / (3) स्कन्ध बीज - जिनकी शाखा (डाली) बोने से उगती है, जैसे गिलोय आदि। (4) पर्व बीज - जिनकी गांठें बोने से उगती हैं, जैसे ऊस, बांस, बैंत आदि। (5) बीज रुह - जिसका बीज बोने से उगता है, जैसे डांगर इत्यादि / (6) संमूर्छिम - जो सिंघाडे के समान बिना बोये उगते हैं। इससे विपरीत प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों का शरीर जानना चाहिये / उनकी नसें गुप्त नहीं होती हैं। उनके तंतु स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं / इस प्रकार साधारण वनस्पतिकायिक एवं प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों की शारीरिक मे संरचना बडा अन्तर होता है / अन्तर का कारण - वनस्पतिकायिक जीवों के शरीर की बनावट, आकार, प्रकृति इत्यादि में फर्क होता है क्योंकि साधारण वनस्पतिकाय के एक शरीर में अनन्त जीव निवास करते हैं, प्रत्येक आत्मा का अलग-अलग शरीर नहीं होता हैं जबकि प्रत्येक वनस्पतिकाय के एक शरीर में एक ही जीवात्मा का वास होता है। प्रत्येक जीवात्मा की अलग-अलग शारीरिक स्थिति, व्यवस्था, आकार, प्रकार, स्वभाव होता हैं / साधारण वनस्पतिकाय क़ाशारीरिक स्वभाव एवं गठन प्रत्येक वनस्पतिकाय की अपेक्षा अधिक नाजुक एवं जड होता है / साधारण वनस्पतिकायिक जीवों का शरीर अनन्त जीवों का पिण्ड होने के कारण जल्दी से जन्म लेने वाला होता है एवं देरी से मृत्यु को प्राप्त होने वाला होता है। प्रत्येक वनस्पति उत्पन्न होते समय साधारण होती है / अंकुरित होने के बाद वह यदि प्रत्येक वनस्पतिकाय की श्रेणी की हो तो प्रत्येक बन जाती है और यदि साधारण वनस्पति
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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